शनिवार, 29 मई 2010

बारमेर न्यूज़ track


इस्लाम धर्म में फतवा
"-इस्लाम धर्म में फतवा उस सलाह अथवा दिशा निर्देश को कहा जाता है जोकि कथित रूप से इस्लामी शरिया तथा इस्लामी कायदे-कानून को मद्देनजर रखते हुए इस्लाम धर्म के किसी विद्वान द्वारा जारी किया जाता है। आमतौर पर फतवा जारी करने का अधिकार मुंफ्ती का पद रखने वाले मुस्लिम विद्वान को ही होता है। जबकि कई इस्लामिक संस्थाओं ने मुस्लिम विद्वानों की फतवा जारी करने वाली एक समिति भी गठित कर रखी है। फतवा के विषय में एक बात और स्पष्ट हो जानी चाहिए कि किसी मुफ्ती या विद्वान द्वारा जारी किया गया कोई भी फतवा मात्र दिशा निर्देश अथवा सलाह की हैसियत ही रखता है इस्लामी आदेश अथवा अध्यादेश की हरगिज नहीं। किसी फतवे की अनुपालना करना या न करना भी किसी संबंधित व्यक्ति अथवा आम मुसलमान की अपनी मर्जी तथा विवेक पर निर्भर करता है। फतवे का पालन करना बाध्यता हरगिज नहीं होती। इस्लामी धर्मगुरुओं द्वारा समय-समय पर विभिन्न सामाजिक सरोकारों से संबंधित फतवे जारी किए जाते रहे हैं। इनमें आर्थिक मामलों के संबंध में, शादी-ब्याह, महिलाओं संबंधी, नैतिकता से संबंधित तथा धार्मिक कार्यकलापों आदि से संबंधित फतवे शामिल हैं।अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वप्रथम फतवा संबंधी विवाद उस समय चर्चा का विषय बना जबकि ईरान की धार्मिक क्रांति के नेता तथा शिया समुदाय के सर्वप्रमुख धार्मिक विद्वान आयतुल्ला रुहल्ला खुमैनी ने 1989 में लेखक सलमान रुश्दी के विरुद्ध मौत का फतवा जारी किया था। सलमान रश्दी पर आरोप था कि उन्होंने अपनी विवादित पुस्तक द सेटेनिक वर्सेस में इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हारत मोहम्मद के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी की है। इस फतवे ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आम लोगों को फतवे के विषय में बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। अभी कुछ वर्ष पूर्व बंगलादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के विरुद्ध भी इसी प्रकार का फतवा जारी किया जा चुका है। यहां यह बताता चलूं कि इस्लाम धर्म में धार्मिक मामलों को लेकर बहस तथा आलोचना की कोई गुंजाईश नहीं है। इस्लाम धर्म इस विषय पर सहिष्णुता का कोई प्रदर्शन नहीं करना चाहता। इसीलिए ईश निंदा अथवा पैगंबरों के विरुद्ध किसी प्रकार की टीका-टिप्पणी करने वालों के विरुद्ध अक्सर ऐसे फतवे आते रहते हैं। अभी कुछ वर्ष पूर्व अफगानिस्तान में अब्दुल रहमान नामक एक मुस्लिम युवक द्वारा ईसाई धर्म स्वीकार कर लेने के चलते उसके विरुद्ध भी मौत का फरमान जारी कर दिया गया था। जिसे भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद बचाया जा सका। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि इस्लाम धर्म में इस प्रकार के मौत के फरमान जारी करने जैसे असहिष्णुतापूर्ण फतवे पूर्णतया मानव अधिकारों के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को प्राप्त होने वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे प्रमुख अधिकारों के विरुद्ध हैं।इस्लामी फतवे प्राय: विवादों से घिरे रहते हैं। उदाहरणतया नवंबर 2008 में मलेशिया में एक फतवा जारी किया गया जिसमें स्वास्थ संबंध योग क्रिया को हराम तथा प्रतिबंधित क़रार दिया गया। भारत में विश्व के सबसे बड़े इस्लामी केंद्र समझे जाने वाले दारुल उलूम देवबंद ने पिछले दिनों कुछ ऐसे फतवे जारी कर दिए जो मानवाधिकारों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करते हैं। इनके फतवों के अंतर्गत मुस्लिम औरतों का सरकारी अथवा गैर सरकारी नौकरी पर जाना गैर इस्लामी बताया गया है। मुस्लिम औरतों को सलाह दी गई कि वे घर के अंदर ही रहें और यदि नौकरी अथवा किसी अन्य कार्य हेतु बाहर जाएं भी तो बुंर्का पहन कर ही जाएं। औरतों को गैर मर्दों के साथ बात करने के लिए भी मना किया गया है। ख़ुशबू, इत्र अथवा परफ्यूम महिलाओं को इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है। खनकती हुई चूड़ियां तथा पायल आदि पहनने को भी गैर इस्लामी बताया गया है। फतवे के अनुसार इन सब वस्तुओं के प्रयोग से मर्द औरतों की ओर आकर्षित होते हैं। मर्द व औरत की तुलना पैट्रोल तथा माचिस से की गई है जिनके एक होने पर सब कुछ भस्म हो जाने की संभावना तक व्यक्त की गई है। यहां तक कि औरत को बकरी की तरह रखे जाने की सलाह दी गई है। अर्थात् मर्द जहां जाए अपनी औरत को बकरी की तरह उसके गले में रस्सी डालकर ले जाए तथा यदि औरत को घर पर अकेला छोड़े भी तो उसे ताले में बंद कर जाए ताकि कोई ‘भेड़िया’ उस औरत तक न पहुंच पाए।भारत में प्रसिद्ध फिल्म स्टार सलमान ख़ान ने अपनी इच्छा तथा पारिवारिक रजामंदी के अनुसार हिंदु धर्म के देवता भगवान गणेश की पूजा अपने घर पर क्या आयोजित कर डाली कि तथाकथित मुस्लिम मुल्लाओं ने उनके विरुद्ध भी फतवा जारी कर दिया। एक और प्रमुख अभिनेता शाहरुख़ ख़ान के विरुद्ध भी इसी प्रकार का इस्लामी फतवा जारी हो चुका है। भारत में राष्ट्रभक्ति के गीत के रूप में गाए जाने वाले वंदेमात्रम के गाए जाने के विरुद्ध भी फतवा जारी किया जा चुका है। भारत के केरल राज्‍य में मुस्लिम मौलवियों द्वारा मुस्लिम महिलाओं को कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के साथ विवाह न करने का फतवा भी जारी किया जा चुका है। संगीत सुनने, टी वी देखने तथा नाच गाने आदि के विरुद्ध भी कई बार फतवे आ चुके हैं। यहां तक कि क्रेडिट कार्ड रखने, कैमरायुक्त मोबाईल फोन को इस्तेमाल करने के विरुद्ध भी फतवे जारी हो चुके हैं। इस्लामी विद्वान बैंक में काम करने को भी गैर इस्लामी मानते हैं। इनके फतवे के अनुसार बीमा करना या कराना अथवा इस विभाग में नौकरी करना भी गैर इस्लामी है। क्योंकि इनके अनुसार यह व्यवस्था पूर्णतया ब्याज तथा जुए पर आधारित है।उपरोक्त सभी फतवे इस्लामी नजरिए के लिहाज से भले ही अपनी कोई अहमियत क्यों न रखते हों परंतु आज के सामजिक परिवेश में तथा वास्तविक जीवन में उपरोक्त सभी फतवे न केवल बेमानी और निरर्थक प्रतीत होते हैं बल्कि उपरोक्त सभी फतवे मानवाधिकारों तथा मानवीय मूल्यों का सरासर उल्लंघन करते हुए भी दिखाई पड़ते हैं। हां यदि यही फतवे संसार की तथा समाज की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप हों तथा इनमें सामाजिक उत्थान निहित हो तो ऐसे फतवों का न केवल मुसलमानों द्वारा स्वागत किया जाता है बल्कि अन्य धर्मों के अनुयायी भी ऐसे सकारात्मक फतवों से प्रभावित होते हैं। ऐसे सकारात्मक फतवे जहां इस्लाम धर्म की छवि को सांफ-सुथरा तथा उज्‍जवल बनाते हैं वहीं इनसे मानवाधिकारों की रक्षा होती भी दिखाई देती है।उदाहरण के तौर पर 9 अगस्त 2005 को ईरान के धार्मिक नेता आयतुल्ला अली खमीनी ने एक फतवा जारी किया था जिसके अंतर्गत परमाणु हथियारों के उत्पादन, इसके भंडारण तथा इसके प्रयोग को गैर इस्लामी करार दिया गया था। इसी प्रकार मार्च 2004 में स्पेन के मुस्लिम विद्वानों द्वारा अलकायदा प्रमुख आतंकवादी ओसामा बिन लादेन तथा उसकी हिंसक गतिविधियों के विरुद्ध फतवा जारी किया गया। इसी प्रकार विश्व प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान डाक्टर ताहिर-उल-कादिरी ने इसी वर्ष मार्च 2010 में 600 पृष्ठों पर आधारित एक विस्तृत फतवा अथवा धार्मिक दिशा निर्देश जारी किया है। जिसमें न केवल ओसामा बिन लाडेन, अलक़ायदा तथा इनके द्वारा चलाई जा रही हिंसक गतिविधियों को गैर इस्लामी बताया गया है बल्कि इसी फतवे ने आत्मघाती बमों के रूप में प्रयोग में आने वाले मुस्लिम युवकों की इन अमानवीय हरकतों को भी पूरी तरह गैर इस्लामी व गैर इंसानी बताते हुए ख़ारिज किया गया है। डा. कादरी ने अपने इस विस्तृत फतवे में आतंकवादी ओसामा बिन लाडेन के उन एक-एक बिंदु का इस्लामी शरिया की रोशनी में अक्षरश: जवाब देकर यह प्रमाणित किया है कि लाडेन तथा उसकी प्रत्येक बात तथा जेहाद के नाम पर रचा जाने वाला उसका ढोंग सब कुछ किस तरह गैर इस्लामी व गैर इंसानी है। डा. कादरी ने अपने इस फतवे में आत्मघाती बने बैठे युवकों की उस सोच को भी ख़ारिज किया है जिसके अंतर्गत वे शहीद होने अथवा जन्नत में जाने की आस लगाए बैठे रहते हैं। इसी प्रकार पाकिस्तान में पिछले दिनों बिजली चोरी रोके जाने के संबंध में भी फतवा जारी किया गया है।इस्लामी फतवे के संबंध में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि चूंकि इस्लाम धर्म में 73 अलग-अलग फिरके(वर्ग)हैं तथा प्रत्येक फिरके के लगभग तमाम अलग-अलगा दिशा निर्देश हैं। प्रत्येक वर्ग के अपने अलग-अलग मौलवी, मौलाना तथा मुंफ्ती जैसे अधिकारी भी होते हैं। अत: यह बात भी कोई जरूरी नहीं कि किसी एक मुस्लिम वर्ग के विद्वान द्वारा जारी किए गए किसी फतवे का पालन किसी दूसरे वर्ग का मुसलमान भी करे। अर्थात् प्रत्येक वर्ग का मौलवी केवल अपने ही वर्ग से संबंधित मुसलमानों को ही कोई दिशा निर्देश जारी करने का अधिकार रखता है। बहरहाल, फतवों के विषय में आम लोगों की नकारात्मक धारणा अथवा नकारात्मक छवि बदलने का जिम्मा उन कठमुल्लाओं पर जाता है जो आज के सामाजिक परिवेश के प्रति अपनी आंखें मूंद कर तथा कुंए के मेंढक बनकर बेतुके तथा मानवाधिकारों का हनन करने वाले फतवे जारी करते रहते हैं। आज के प्रगतिशील युग में न केवल इस्लाम बल्कि सभी धर्मों के धर्मगुरुओं की सोच वर्तमान सामाजिक परिवेश तथा वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए। ऐसे सकारात्मक फतवे निश्चित रूप से इस्लाम धर्म की छवि को बेहतर बनाने में कारगर सिद्ध होंगे

गुरुवार, 27 मई 2010

लाजवाब हैं बाड़मेर की मृण्कलाएं


लाजवाब हैं बाड़मेर की मृण्कलाएं

बाडमेर: सिंधु नदी और लूणी नदी के मध्य स्थित बाड़मेर का थार क्षेत्र मृण्कलाओं के वैविध्य का प्रमुख केन्द्र रहा है। नदी के पेटे मगरे की जमीन पर तैयार खेत, तालाबों और थार की धरा के बीच के तालरों की मिट्टी मृण्कलाओं का प्राण रही है। मिट्टी को प्राणवान बनाने वाली जातियां- हिन्दू कुम्हार और मोयले कुम्हार ने क्षेत्र की मृण्कलाओं को एक खूबसूरत आयाम दिया है।मिट्टी-पानी से एक मेल होकर लोक रसकता की सृष्टि के सृजक इन कुम्हार शिल्पकारों ने मृण (मिट्टी) कला के कद्रदानों की कला पिपासा को शांत किया। गांव के गरीब से लेकर उच्च वर्ग के लोगों के लिए मृण यानि मिट्टी के बर्तनों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए इस क्षेत्र के मृण्‍कला सृजक अपनी श्रेष्ठता को कायम रखे हुए हैं। बाड़मेर जिले की मृण्कला में दैनिक आवश्यकताओं के कलात्मक बर्तन, मामाजी की मूर्तियां, पचपदरा तथा मोकलसर की मटकियां और परम्परागत शैली की पवाड की नलियां प्रमुख हैं।मुसलमानों में मोयला शैली में महज सोलह बर्तन ही बनाये जाते हैं। इन कलात्मक बर्तनों में प्रमुख रूप से मटकी, तबाक (परात), कड़ली (आटा रखने हेतु), करी (सुराई), दोझाणी (दूध दुहने के लिए), धांगी (रोटी पकाने के लिए), परोटी (दूध जमाने के लिए), कूपा, ओलचवी मटूरा, कुण्डजा कुलड़ी, ताणी, फलमा, गगरी, तसियां हैं। मोयला शैली में कलात्मक बर्तनों में मिट्टी की खुदाई कर कूट-कूट कर भिगो दिया जाता हैं। उसमें बाद में मिट्टी की गढ़े हुए मूरर बर्तनों को पकाने के लिए न्याव के कचरे के ऊपर बर्तनों को ठिकरियों से ढक कर रख दिया जाता है।

बुधवार, 26 मई 2010

बारमेर न्यूज़ track

Police busts 'eunuch wedding' in Peshawar
PESHAWAR: A Pakistani court on Tuesday remanded in custody a portly fertiliser dealer and teenage eunuch for allegedly trying to marry in the city of Peshawar, police said.
The alleged couple and dozens of guests were arrested when police raided a late-night party after a tip off that 42-year-old Malik Mohammad Iqbal Khan was trying to marry a 19-year-old eunuch, police said.
“We arrested the bridegroom, the would-be bride and 41 others at the wedding party,” local police station chief Shahid Khan told AFP in the working class neighbourhood of Faqir Abad in the northwestern city.
All of them were remanded in custody for one day on charges of attending an event that is “against Sharia law” and “illegal”, police said.
The fertiliser dealer, who already has two wives, denied he was marrying the eunuch, it had only been a birthday party for Rani.
“We were having a birthday party, but police arrested us. We had no intention of getting married,” he told AFP at the police station.
The furious 'bride' also insisted it had only been a birthday bash.
“I pray there should be more suicide attacks on police because they put people in trouble unnecessarily,” said Rani, who gave only one name.
Shah Faisal, a senior lawyer in Peshawar, said that police brought up the charge of “unnatural sexual offence” against the accused for which the maximum punishment was life imprisonment.
Police showed an AFP reporter a room in the neighbourhood that had been strung with lights and decked out in a style befitting newly wed couples in northwest Pakistan.
Police pointed to Rani's palms, which were covered in henna, a traditional rite of passage for brides but also performed for other special occasions.
Rani's family was paid 300,000 rupees (3,550 dollars) by Khan and another 80,000 rupees (946 dollars) to pay off a debt owed by Rani, Shahid Khan said.
Pakistan is a deeply conservative Muslim country where sex outside marriage is taboo and homosexuality illegal.
The eunuch community, which includes hermaphrodites, transsexuals, transvestites and homosexuals, is mocked, pitied and shunned by society. They frequently beg on the streets and many end up as prostitutes.
In a move toward granting the country's estimated 500,000 eunuchs rights, Pakistan's top judge has ordered the government to recognise them as a distinct gender, although how it will be implemented remains to be seen.

Hamir Singh crowned 26th Rana
barmer Rana Hamir Singh, the son of Rana Chander Singh, was crowned the 26th Rana of Rajputs/ Thakurs of Tharparkar on Sunday. Hamir Singh has worked as the deputy Nazim of Umerkot. The coronation, held at the playground of Govt Boys High School, drew a large number of elders of the community and the local elite. People belonging to different faiths turned up to watch the event. The ceremony began with the entry into Mithi of a convoy of hundreds of vehicles from Rana Jagir (Rana’s native village near Umerkot). When the caravan stopped at the old Naka (checkpoint), two girls sang “arti” in praise of a deity during which worshippers hold a platter containing incense. Rana Hamir Singh sat on a resplendent chariot, which was followed by scores of other vehicles. A large number of Thakurs attired in traditional Rajputi dress of “pheenta” (a multi-coloured turban) and “traita” (a white sheet), stood on both sides of the road to herald the arrival of the new Rana. Pir Ladhusingh, the guardian of the Pir Pithoro shrine, put a golden crown on Rana Hamir Singh’s head on behalf of the Rajput community. Addressing the ceremony, Rana Hamir said he would follow in the footsteps of his late father and do his best to improve the lot of the people of Tharparkar

Hamir Singh crowned 26th Rana




Police busts 'eunuch wedding' in Peshawar

A Pakistani court on Tuesday remanded in custody a portly fertiliser dealer and teenage eunuch for allegedly trying to marry in the city of Peshawar, police said.

The alleged couple and dozens of guests were arrested when police raided a late-night party after a tip off that 42-year-old Malik Mohammad Iqbal Khan was trying to marry a 19-year-old eunuch, police said.

“We arrested the bridegroom, the would-be bride and 41 others at the wedding party,” local police station chief Shahid Khan told AFP in the working class neighbourhood of Faqir Abad in the northwestern city.

All of them were remanded in custody for one day on charges of attending an event that is “against Sharia law” and “illegal”, police said.

The fertiliser dealer, who already has two wives, denied he was marrying the eunuch, it had only been a birthday party for Rani.

“We were having a birthday party, but police arrested us. We had no intention of getting married,” he told AFP at the police station.

The furious 'bride' also insisted it had only been a birthday bash.

“I pray there should be more suicide attacks on police because they put people in trouble unnecessarily,” said Rani, who gave only one name.

Shah Faisal, a senior lawyer in Peshawar, said that police brought up the charge of “unnatural sexual offence” against the accused for which the maximum punishment was life imprisonment.

Police showed an AFP reporter a room in the neighbourhood that had been strung with lights and decked out in a style befitting newly wed couples in northwest Pakistan.

Police pointed to Rani's palms, which were covered in henna, a traditional rite of passage for brides but also performed for other special occasions.

Rani's family was paid 300,000 rupees (3,550 dollars) by Khan and another 80,000 rupees (946 dollars) to pay off a debt owed by Rani, Shahid Khan said.

Pakistan is a deeply conservative Muslim country where sex outside marriage is taboo and homosexuality illegal.

The eunuch community, which includes hermaphrodites, transsexuals, transvestites and homosexuals, is mocked, pitied and shunned by society. They frequently beg on the streets and many end up as prostitutes.

In a move toward granting the country's estimated 500,000 eunuchs rights, Pakistan's top judge has ordered the government to recognise them as a distinct gender, although how it will be implemented remains to be seen.




Hamir Singh crowned 26th Rana

barmer Rana Hamir Singh, the son of Rana Chander Singh, was crowned the 26th Rana of Rajputs/ Thakurs of Tharparkar on Sunday. Hamir Singh has worked as the deputy Nazim of Umerkot. The coronation, held at the playground of Govt Boys High School, drew a large number of elders of the community and the local elite. People belonging to different faiths turned up to watch the event. The ceremony began with the entry into Mithi of a convoy of hundreds of vehicles from Rana Jagir (Rana’s native village near Umerkot). When the caravan stopped at the old Naka (checkpoint), two girls sang “arti” in praise of a deity during which worshippers hold a platter containing incense. Rana Hamir Singh sat on a resplendent chariot, which was followed by scores of other vehicles. A large number of Thakurs attired in traditional Rajputi dress of “pheenta” (a multi-coloured turban) and “traita” (a white sheet), stood on both sides of the road to herald the arrival of the new Rana. Pir Ladhusingh, the guardian of the Pir Pithoro shrine, put a golden crown on Rana Hamir Singh’s head on behalf of the Rajput community. Addressing the ceremony, Rana Hamir said he would follow in the footsteps of his late father and do his best to improve the lot of the people of Tharparkar

मंगलवार, 25 मई 2010

BARMER NEWS TRACK

Googleअनूठी है कौड़ी कला की हस्तशिल्प विरासत
: चंदन भाटी
बाड़मेर: एक जमाने में मुद्रा के रूप में उपयोग की जाने वाली कौड़ियों को वर्तमान में बहुत उपयोगी नहीं माना जाता। आज ‘कौड़ियों के भाव’ मुहावरे का अर्थ किसी चीज को बहुत सस्ते में खरीदना या बेचना माना जाता हैं। कभी मूल्यवान रहीं ये कौड़ियां धीरे-धीरे घर-परिवारों से लुप्त होती जा रही हैं, लेकिन राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के हस्तशिल्पियों ने अपनी सृजनात्मक ऊर्जा के बल पर कौड़ियों को साज-सज्जा के एक अद्भुत साधन का रूप प्रदान करने का सफल प्रयास किया है।बाड़मेर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित देरासर गांव की रामदियों की बस्ती की हस्तशिल्पी श्रीमती भाणी, मिश्री खां व उनके साथियों ने कौड़ियों का नया संसार रच डाला है। कौड़ियों को रंग-बिरंगे धागों, झालरों को बारीक कसीदे और गोटों से खूबसूरती से गूंथकर पशुओं के श्रृंगार तथा घरेलू सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन, आधुनिक जरूरतों को देखते हुए हस्तशिल्प को विस्‍तार देने और उसके लिए बाजार बनाने का प्रयास हो रहा है।इस गांव के ज्यादातर हस्तशिल्पी मुसलमान (रामदिया) हैं तथा पशुपालन व विक्रय धंधा करते हैं। 95 घरों वाले इस गांव में पच्चीस घर रामदिया मुसलमानों के हैं, जो गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न पशु मेलों में शरीक होकर पशु क्रय-विक्रय का धंधा करते हैं। ऐसे ही एक मेले में मिश्री खां अपनी पत्नी भाणी के साथ गुजरात गए, जहां ऊंट और घोड़ों के श्रृंगार को देखकर बेहद प्रभावित हुए। बैलों के श्रृंगार के लिए कौड़ियों की बनी मोर कलिया, गेठिये, घोडी के श्रृंगार के लिए मृणी लगाम, गोडिए, त्रिशाला और ऊंटो के लिए बने पऊछी गोरबन्ध मुहार, मोर आदि कौड़ी कला को देखकर आधुनिक नमूने तैयार करने के विषय में पूछताछ कर यहीं से इस दम्पति ने नई जिन्दगी की शुरूआत की। भाणी का पुश्तैनी कार्य कांच-कसीदाकारी का तो था ही, साथ ही भाणी ने इसी दौरान कौड़ी काम भी सीख लिया। पशु श्रृंगार की सामग्री के साथ-साथ भाणी ने गुडाल तथा अन्य झोपडों के लिए तोरण-तोरणिएं तथा अपाण के पलों पर कडों कौड़ी, खीलण कांच और भरत का कार्य करने में भी महारत हासिल कर ली। मुसलमान, मेघवाल आदि जातियों की शादियों पर कौड़ियों वाले मोर पर तो आज भी गांव वाले मोहित हैं। भाणी ने परम्परागत कौड़ी कला कार्य इण्डाणी गोरबन्ध के साथ-साथ इसी कला के थैले, पर्स बनाने आरम्भ कर दिए। हस्तशिल्पी बताते हैं कि कौड़ी कला युक्त इण्डाणियों की मांग शहर में बहुत हैं। शहर वाले परम्परागत इण्डानियों को देखकर मोहित हो जाते हैं। भाणी झालर वाली, बिना झालर वाली और बिना फुन्दी वाली इण्डाणी बनाती हैं। झालर वाली इण्डाणी बीस इंच लम्बी होती हैं, जिसके कारण शिल्पकार को इसे तैयार करने में तीन दिन लग जाते हैं। इस इण्डाणी में आधा किलो कौड़ी और लगभग डेढ़ सौ ग्राम ऊन लग जाता है। बिना झालर व फुन्दे वाली इण्डाणी एक ही दिन में तैयार हो जाती हैं। इसमें 100-125 ग्राम कौड़ी का उपयोग होता हैं। बिना झालर व फुन्दी वाली इण्डानी बनाने में एक दिन का समय लगता हैं।झालर वाली इण्डाणी में मूंजवाली रस्सी को गोलकर कपड़े से सिलाई कर दी जाती है और कौड़ी में बंद करके उसे कपड़े पर सील दिया जाता है। कौड़ी कला के कद्रदान आज कम बचे हैं। सरकारी स्तर पर इन हस्तशिल्पियों को सरंक्षण नहीं मिलने के कारण ये फाकाकशी में दिन गुजार रहे हैं। कौड़ी कला के हस्तशिल्पी देश भर में कम ही बचे हैं। मिश्री खान को दाद तो खूब मिलती है, मगर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने में कोई मदद नहीं करता।

सोमवार, 24 मई 2010

BARMER NEWS TRACK

Googleराजस्‍थान: सरहद पर दो बूंद पानी के लिए तरसते दलित
बाडमेर: भारत-पाकिस्तान सरहद पर बसे परंपरागत रूप से अभावग्रस्त राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में भीषण गर्मी के साथ-साथ पेयजल संकट से आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है। अभावों के आदी होने के बावजूद थारवासी इस बार के पेयजल संकट और भीषण गर्मी को सहन नहीं कर पा रहे हैं। सरहदी क्षेत्रों में पेयजल संकट किसी सजा से कम नहीं है। विशेषकर, दलित वर्ग के लोगों के लिए।बाड़मेर जिले के समस्त 2285 गांव अभावग्रस्त घोषित हैं, मगर राज्य सरकार ने अभावग्रस्त जनता को राहत देने के लिए किसी प्रकार के ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जिसके चलते दलित परिवारों के सामने जीवन का संकट पैदा हो गया है। दलितों की जिंदगी दो बूंद पानी की तलाश तक सिमट कर रह गई है। पूरा दिन एक घड़ा पानी की तलाश में निकल जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में दलित परिवारों के लिए पेयजल की अलग से व्यवस्था परंपरागत रूप से है। आज भी सवर्ण जातियां दलित वर्ग के लोगों को अपने साव, तालाबों और टांकों से पानी भरने नहीं देती। अभिशप्त दलित वर्ग दो बूंद पानी के लिये संर्घष कर रहा है। जाति के आधार पर बंटे इन पेयजल स्रोतों का निर्माण सरकार ने भले ही सार्वजनिक तौर पर कराया हो, मगर जमीनी हकीकत यही है कि दलित को सार्वजनिक कुओं से पानी भरने की इजाजत तथाकथित सभ्य समाज नहीं देता। कहने को जिला प्रशासन द्वारा सभी आठों तहसीलों में पानी के टैंकरों की व्यवस्था कर रखी है, मगर ये पानी के टैंकर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने से पहले गांवों के प्रभावशाली लोगों के हत्थे चढ जाते हैं। सार्वजनिक टांकों में पानी भरे जाने के बजाय प्रभावशाली सवर्ण जाति के निजी टांकों में भरे जाने के कारण दलितों के पेयजल स्रोत खाली ही रहते हैं। ऐसे में दलित परिवार की महिलाओं को आसपास के गांवों में पानी की तलाश में निकलना पडता है। गांव के सार्वजनिक टांकों पर दलितों को पानी भरने की इजाजत नहींगांव-गांव में यही कहानी दोहराई जाने के कारण आज दलितों के पानी के टांके खाली पड़े हैं। जाति के आधार पर बंटे पानी के कारण दलित वर्ग के लोग पलायन को मजबूर हैं। गांवों में बाकायदा सवर्ण जातियों के लिए अलग से टांके बने हैं, तो दलित वर्ग के लिए ‘मेधवालों की बेरी’, ‘भीलों की बेरी’, ‘सांसियों का तला’, ‘मिरासीयों का पार’ नाम से पानी के स्रोत अलग से गांव की सरहदों पर बने हुए हैं। जिले में लगभग 70-80 सरपंच, जिला परिषद सदस्य तथा पंचायत समिति सदस्य और एक विधायक दलित समाज से होने के बावजूद ग्रामीण अंचलों में दलितों का सरेआम शोषण हो रहा है। दो बूंद पानी के लिए दलित वर्ग को बार-बार अपमानित होना पड रहा है। जाति आधारित बंटवारा महज पानी में ही हो, ऐसा नहीं हैं। हर योजना का बंटवारा जाति आधारित हो रहा है। जिला प्रशासन द्वारा संचालित पेयजल राहत टैंकर चलाने वाले किशनाराम ने बताया, ‘‘हम गरीबों तक पानी पहुंचाना चाहते हैं, मगर गांव के प्रभावशाली लोग हमें गांव में घुसने पर ‘देख लेने’ की धमकिया देते हैं, जोर-जबरदस्ती कर पानी के टैंकर अपने घरों के टांकों में खाली कराते हैं। हमें गांवों में बार-बार जाना होता है। किस-किस से दुश्‍मनी मोल लें।’’रूघाराम मेघवाल कहते हैं, ‘राहत के पेयजल टैंकर गरीब और दलितों तक पहुंचने ही नहीं दिए जाते। गांवों में दलितों के टांकों में पानी रीत (रिक्‍त) चुका हैं। पानी खरीदने की हमारी हैसियत नही है। बीस-बीस किलोमीटर परिवार की महिलाएं और बच्चे पैदल चल कर पानी की तलाश में भटकते रहते हैं। दिन भर की तलाश के बाद एक घड़ा ला पाते हैं। ऐसी स्थिति कब तक चलेगी? जिला प्रशासन को बार-बार सूचित किया, मगर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

रविवार, 23 मई 2010

BARMER NEWS TRACK

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राजस्‍थान: भीषण गर्मी से फैलीं मौसमी बीमारियां, 5 की मौत
बाड़मेर: राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण जिले भर में मौसमी बीमारियों का प्रकोप आरम्भ हो गया है। जिले भर में हैजा और उल्टी-दस्त की बीमारियों ने बड़े पैमाने पर दस्तक दे दी है। पाकिस्तान सीमा से सटे बाखासर गांव में भीषण गर्मी के कारण उल्टी-दस्त का रोग फैलने से दो दर्जन ग्रामीण इसके शिकार हो गए। इन पीडि़त ग्रामीणों को गुजरात के थराद के अस्पताल में उपचार के लिए शनिवार को भर्ती कराया, जहां तीन बच्चों सहित चार जनों ने दम तोड़ दिया। जिले भर में भीषण गर्मी का कहर जारी रहने से डिहाइड्रेशन, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है।वहीं बस से तीर्थ यात्रा पर जैसलमेर से बाड़मेर पहुंची महिला यात्री जमना देवी (55 साल) की तेज गर्मी के कारण तापघात से मौत हो गई। जमना देवी की तबियत बस में ही खराब हो गई थी, उसके बाद उन्‍हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्‍हें मृत घोषित कर दिया गया।पाकिस्तान तथा गुजरात सीमा से सटे चौहटन तहसील के बाखासर गांव में शुक्रवार को उल्टी-दस्त का प्रकोप हो गया था, जिससे स्थानीय जिला प्रशासन बेखबर था। ऐसे में बाखासर के नजदीक गुजरात के थराद जिले के राजकीय अस्पताल में दो दर्जन ग्रामीणों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया। शनिवार को लाधुसिंह (6 वर्ष), बलवंतसिंह (4 वर्ष), हेमी (60) तथा कमला (1 साल) की मौत हो गई। बाखासर पटी के साता, सावा, हाथला, बावरवाला, नवातला, नवापुरा आदि दर्जन भर गांवों में पिछले दो दिनों से मौसमी बीमारियों का प्रकोप होने से ग्रामीण खौफ के साये में हैं। इन गावों के पीडि़तों का उपचार गुजरात के अस्पतालों में चल रहा है, जबकि इस गांव का चिकित्सक दो दिन पहले रिश्‍वत लेते गिरफ्तार हो चुका है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग ने चौहटन से मेडिकल टीम बाखासर भेजी, जहां दो दर्जन पीडि़तों का उपचार किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने इन प्रभावित गांवों से पानी के नमूने भी लिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गणपतसिंह ने बताया कि प्रभावित गांवों में मेडिकल दल भेजे गये हैं। उन्होंने बताया कि तेज गर्मी के कारण बीमारी का प्रभाव बढ़ गया था। तापमान 48-49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने की वजह से थारवासियों को आग की भट्ठी जैसी गर्मी में झुलसना पड़ रहा है। गर्मी का कहर कम होने के बजाय निरन्तर बढ़ रहा है।
आसमान से बरसी आग
बाडमेर। बाडमेर जिले में गर्मी का कहर शनिवार को भी जारी रहा। सूर्य के रौद्र रूप के कारण समूचा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। एक पल के लिए चैन नहीं मिल रहा है। ठण्डी रातों के लिए मशहूर थार में पिछली दो रातों में लू चल रही है। जन जीवन को न दिन में चैन मिल रहा है और न रात को आराम। शनिवार को तापमापी में पारा अडतालीस डिग्री से ऊपर ही रहा। पिछले दो दिन से बढे पारे के कारण बाजारों में अघाषित कफ्üयू लग गया है। अत्यावश्यक होने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। बालोतरा.बालोतरा क्षेत्र में इस बार गर्मी व लू का प्रकोप रिकॉर्ड बनाने की ओर है। सूरज के रौद्र रूप से वातावरण भट्टी की तरह दहक रहा है। इसका असर बाजार में भी देखा जा रहा है। तेज धूप व लू से बचाव के लिए बालोतरा के बाजार में अब जगह-जगह शामियाने तानकर छांव की व्यवस्था की जा रही है। ग्राहकों के साथ ही खुद की सुविधा को देखते हुए बाजार के दुकानदार अपनी दुकानों के आगे साझा सहयोग से शामियाने तान रहे हैं। चौहटन. समूचे पश्चिमांचल में आसमान से आग बरस रही है। आकाश से आग उगलती सूरज की किरणे, वहीं अंगारो की तरह तपती धरती ने जन जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। यूं तो इस क्षेत्र में तापमापी यंत्र नहीं होने से तापमान का निश्चित आंकडा नहीं है, लेकिन समूचे पश्चिमांचल में भीषण गर्मी ने अब तक के सारे कीर्तिमान तोड दिए है। तन को झुलसा देने वाली गर्म लू से दिन भर तो कहर बरपा ही रहता है, वहंी रात में भी गर्म हवा का प्रवाह कम नहीं हो रहा। भीषण गर्मी से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। गर्मी के कहर से क्षेत्र में मौसमी बीमारियों भी अपनाप्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है।
मोकलसर.क्षेत्र में शनिवार को प्रचण्ड गर्मी का दौर जारी रहा। सूर्योदय के साथ तेज गर्मी व उमस ने आमजन को परेशान कर दिया। दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक गर्मी का पारा तेज रहा। मोकलसर में शनिवार को 49 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया गया। बाजार में दोपहर को सन्नाटा पसरा रहा। सडकों पर दोपहर में आवाजाही कम रही।

शनिवार, 22 मई 2010

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थार में बरसी आग
बाडमेर । थार में भीषण गर्मी ने इस साल के सारे रिकार्ड तोड दिए। पारा 48 डिग्री को लांघ गया। लू के थपेडे आग की लपटों का कार्य कर रहे थे तो तवे के माफिक जमीन तप गई। देह झुलसाने वाली गर्मी में लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। शुक्रवार को अघिकतम तापमान 48.1 डिग्री सेल्सिसय पहुंच गया। तापमान की इस वृद्धि ने लोगों को झुलसा दिया। सुबह से ही लू के थपेडे शुरूहो गए। भरी दुपहरी में बाजार मेे सन्नाटा पसर गया। राष्ट्रीय राजमार्ग पंद्रह पर वाहनों के पहिए थम गए। गांवों में धोरों की जमीन तपने से हाल और भी बुरे हो गए। पंखे व कूलर जवाब देने लग गए है।
आग में घी राज्य सरकार द्वारा बिजली कटौती की घोषणा थार के लोगों के लिए अब सजा बन गई है। दोपहर बारह बजे तक हो रही कटौती से लोगों में जबरदस्त रोष बढ रहा है।
नाबालिग के साथ बलात्कार का मामला
बाटाडू. गिडा पुलिस थाने में शुक्रवार को क्षेत्र के नई रेवाली गांव की एक नाबालिग के साथ बलात्कार मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने बताया कि एक व्यक्ति ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी 17 वर्षीय पुत्री घर से 15 मई को बाटाडू में सब्जी विक्रेता डालूराम के पास सब्जी खरीदने गई। आरोपी ने दुकान के पीछे बने कमरे में ले जाकर बलात्कार किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
बाड़मेर: रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ डॉक्टर
बाड़मेर: भ्रष्‍टाचार निरोधक ब्‍यूरो (एसीबी) ने शुक्रवार को राजस्‍थान के बाड़मेर जिले की चौहटन तहसील के बाखासर राजकीय अस्पताल के डॉक्टर शंकराराम को आठ सौ रुपए की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। ब्यूरो के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) गोविंद गुप्ता ने बताया कि चांदासनी निवासी प्रभूराम कोली की भतीजी कंकू ने राजकीय अस्पताल बाखासर में एक बच्चे को जन्म दिया।बच्‍चे को जन्‍म देने के बाद कंकू के नाम ‘जननी सुरक्षा योजना’ के अंतर्गत 17 सौ रुपए का चेक जारी हुआ था, लेकिन चेक देने के बदले डॉक्टर शंकराराम ने उनसे घूस में हजार रुपए मांगे। परिवादी ने सौ रुपए उसे पहले ही दे दिए थे। इसके बाद गत 19 मई को परिवादी प्रभूराम ने एसीबी चौकी, बाड़मेर में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।शुक्रवार को ब्यूरो के चौकी प्रभारी भंवरसिंह ने आरोपी शंकराराम को उसके सरकारी आवास पर परिवादी से आठ सौ रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया। एसीबी के अनुसार आरोपी ने परिवादी से शुक्रवार को घूस में नौ सौ रुपए ही लिए थे, लेकिन परिवादी के हाथा-जोड़ी करने पर डॉक्टर ने सौ रुपए वापस लौटा दिए। इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई जारी है।

नौकरी न मिलने पर युवक ने फांसी लगाई
गुडामालानी. नौकरी नहीं मिलने से खफा हुए एक तीस वर्षीय तनावग्रस्त युवक ने गुरूवार रात्रि क्षेत्र के भाखरपुरा गांव में खेत में खेजडी के पेड पर फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार माधवदास पुत्र शिवदास संत निवासी भाखरपुरा ने मामला दर्ज करवाया कि उसका छोटा भाई सन्तोषदास (30) ने कुछ दिनों पहले पोस्टआफिस में नौकरी के लिए आवेदन किया था। सफल नहीं से वह पिछले पांच सात दिन से तनावग्रस्त था। गुरूवार रात्रि सन्तोषदास ने पास के खेत में जा खेजडी के पेड से फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द किया।
उल्टी दस्त का प्रकोप
चौहटन. क्षेत्र के सुदूर कच्छ रण से सटे सीमावर्ती गांवों में इन दिनों उल्टी दस्त का जबरदस्त प्रकोप फैल गया है। पिछले दो दिनों से इस क्षेत्र के बाखासर, साता, हाथला, आदि गांवों में दर्जनों के अचानक उल्टी का प्रकोप शुरू हुआ। स्थानीय स्तर इलाज नहीं हो पाने एवं अचानक उल्टी के प्रकोप के फैलाव से भयभीत लोगों ने गुजरात जाकर इलाज करवाना शुरू किया है।
अकेले बाखासर गांव के एक दर्जन से अघिक उल्टी पीडितों को गुजरात के थराद में भर्ती करवाया गया है। बाखासर के ग्रामीणों ने बताया कि मीरांदेवी पत्नी हंसाराम गर्ग, सुखी देवी पत्नी ऊकाराम कुम्हार, सुखाराम पुत्र दयाराम मेघ, देवीदान, सुरेश पुत्र मदाराम मेघ, बाबूलाल को थराद के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। तीन दिनों में एक दर्जन से अघिक उल्टी के मरीजों को गुजरात इलाज के लिए ले जाया गया है।
दो महिलाओं ने दी जान
जालोर । चितलवाना व सायला थाना क्षेत्र में शुक्रवार को दो महिलाओं ने कुएं व बेरेी में कूद कर अपनी जान दे दी। सायला थाना क्षेत्र के बावतरा गांव में कुएं में कूदी महिला का शव देर रात तक नहीं मिल पाया था। उसके पैरों के चप्पल व ओरणी बरामद हुई है।
पुलिस के अनुसार चितलनवाना थाना क्षेत्र के डावल निवासी श्रीमती जमना पत्नी भगवानाराम विश्नोई ने शुक्रवार सुबह बेरी में कूद कर अपनी जान दे दी। आत्म हत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया। बेरी के निकट से महिला की चप्पल बरामद हुई। इसी तरह सायला थाना क्षेत्र के बावतरा गांव में शुक्रवार दोपहर अलकूदेवी पत्नी बींजाराम रेबारी कुएं में कूद गई।
ग्रामीणों की इत्तला पर सायला थानाप्रभारी बाघसिंह पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंचे और शव बाहर निकलवाने का प्रयास किया। थानाप्रभारी ने बताया कि शव कुएं में फंसा होने के कारण देर रात तक बरामद नहीं हो पाया।

शुक्रवार, 21 मई 2010

जसवंत की भाजपा में वापसी तय, कभी भी हो सकती है घोषणा

जसवंत की भाजपा में वापसी तय, कभी भी हो सकती है घोषणा

बाड़मेर: रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ डॉक्टर

बाड़मेर: रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ डॉक्टर

राजस्‍थान: आसमान से बरस रही है आग, पारा पहुंचा 48 डिग्री पर

राजस्‍थान: आसमान से बरस रही है आग, पारा पहुंचा 48 डिग्री पर

TEZ NEWS

TEZ NEWSडॉक्टर रिश्वत लेते गिरफ्तार3 min ago
च्रदन सिंह भाटीबाड़मेर एसीबी ने बाड़मेर जिले की चौहटन तहसील के बाखासर राजकीय अस्पताल के डॉक्टर शंकराराम को शुक्रवार को आठ सौ रुपए की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। ब्यूरो के डीआईजी गोविंद गुप्ता ने बताया कि चांदासनी निवासी प्रभूराम कोली की भतीजी कंकू ने राजकीय अस्पताल बाखासर में एक बच्चे को जन्म दिया। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत कंकू के नाम 17 सौ रुपए का चेक जारी हुआ था, लेकिन चेक देने के बदले डॉक्टर शंकराराम ने उनसे घूस में हजार रुपए मांगे। परिवादी ने सौ रुपए उसे पहले ही दे दिए थे। इसके बाद गत 19 मई को परिवादी प्रभूराम ने एसीबी चौकी बाड़मेर में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शुक्रवार को ब्यूरो की चौकी प्रभारी भंवरसिंह ने आरोपी शंकराराम को उसके सरकारी आवास पर परिवादी से आठ सौ रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया। एसीबी के अनुसार आरोपी ने परिवादी से शुक्रवार को घूस में नौ सौ रुपए ही लिए थे, लेकिन परिवादी के हाथा-जोड़ी करने पर डॉक्टर ने सौ रुपए वापस लौटा दिए। इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई जारी है।

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Googleइंडियन आइडल-5’ में दिल जीता बाड़मेर के स्वरूप खान ने
बाड़मेर के बईया के रहने वाले स्वरूप खान की संगीत के प्रति दीवानगी देखने लायक है। बचपन से ही अपने परिजनों के साथ लोक संगीत में अपने आप को पारंगत करने में जुटा स्वरूप खान आज ‘इंडियन आइडल-5’ के अंतिम 10 प्रतिभागियों में सलेक्ट हो गया है। स्वरूप खान के चयन पर बाड़मेरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।स्थानीय लोक कलाकार पूर्व में भी देश-विदेश में अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। बॉलीवुड व हॉलीवुड में परफॉर्मेंस देने के बाद अब इंडियन आइडल भी लोक कलाकारों की गायकी से अछूता नहीं रहा और स्वरूप खान को अंतिम 16 में जगह मिल गई। अहमदाबाद में ऑडिशन देने के बाद स्वरूप का चयन मुम्बई के लिए हुआ। वहां सात दिन के रिहर्सल के बाद 150 में उसने जगह बनाई। उसके बाद 70 प्रतिभागियों में से सलेक्ट कर उसे अंतिम 40 में लिया गया। स्वरूप ने 40 प्रतिभागियों के ऑडिशन में भी अपनी छाप छोड़ी और 25 प्रतिभागियों में सलेक्ट हुआ। आखिर में उसने अंतिम ऑडिशन में निर्णायकों का दिल जीत कर अंतिम 10 में जगह बनाई।बईया निवासी नियाज खां के 19 वर्षीय पुत्र स्वरूप खान को शुरू से ही गायकी का शौक था। उसने अपने चाचा अनवर खां से यह हुनर सीखा। अनवर खां के साथ स्वरूप खान ने विदेशों में कई प्रोग्राम किए और ख्याति अर्जित की। जैसलमेर के लोक कलाकारों में स्वरूप खान सूफी गायन के जादूगर माने जाते हैं। उनकी गायकी ने निर्णायक अनु मलिक, सुनिधि चौहान व सलीम मर्चेंट को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वरूप खान इससे पूर्व अंग्रेजी फिल्म ‘मिल्क एंड ओपियम’ में मुख्य किरदार निभा चुका है।लोकसंगीतकापरचमस्थानीय मांगणियार कलाकारों ने लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवित रखा है। वे निरंतर लोक संगीत को विख्यात करने में लगे हुए हैं। और तो और, अब यह संगीत इस जाति के लोगों की आजीविका का साधन बन चुका है। नन्हें कलाकारों से लेकर बुजुर्ग कलाकार आज भी शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भावविभोर कर रहे हैं।स्वरूपकीआवाजमेंदमहै‘गुणसार लोक कला संस्थान’ के अध्यक्ष बक्श खां ने बताया कि स्वरूप की आवाज में दम है और उसकी संगीत के प्रति दीवानगी उसको आगे तक ले जाएगी। वह लोक संगीत के साथ-साथ फिल्मी गीत भी सधे हुए सुरों में गा सकता है। बक्श खां ने बताया कि स्वरूप खां की हौसला अफजाई के लिए संस्थान उसे वोट करने की अपील करेगा
बाड़मेर: पुलिसकर्मी ने पत्नी की हत्या की
बाड़मेर: राजस्‍थान के मरूस्‍थली जिले बाड़मेर के मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन के सरकारी आवास में एक पुलिसकर्मी ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस लाइन में घटित इस हत्याकांड से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है।बाड़मेर पुलिस अधीक्षक (एसपी) संतोष चालके ने बताया कि पुलिस विभाग में कार्यरत सिपाही राणाराम ने गुरुवार प्रातः अपने सरकारी आवास में सो रही पत्नी के सिर पर गैस की टंकी से वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया। पत्नी की हत्या कर राणाराम ने स्वयं घर से बाहर आकर पड़ोसियों को पत्नी की हत्या के बारे में बताया। इसके बाद पड़ोसियों ने कोतवाली पुलिस को सूचना दी।सूचना मिलने के बाद पुलिस दल ने घटनास्थल पर पहुंच कर आरोपी पुलिसकर्मी को हिरासत में ले लिया। पुलिस के आला अधिकारियों ने घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का मौका मुआयना किया। पुलिस ने मृतका के शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया। इस संबंध में पुलिस थाना कोतवाली में हत्या का मामला दर्ज कर जांच आरम्भ कर दी गई है।
जयपुर हाइवे जाम किया
बाड़मेर राजसमंद जिले के ईसरमंड के जंगलों में कथित तौर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बिलाड़ा निवासी तस्कर छोटूराम जाट का शव गुरुवार को यहां पहुंचा। छोटूराम के शव को उसके समर्थकों ने कापरड़ा के मुख्य बस स्टैंड पर ही रोक लिया और करीब डेढ़ घंटे तक जोधपुर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 112 को जाम कर दिया। आक्रोशित ग्रामीण बाड़मेर जिले के अंतर्गत कल्याणपुर थाना प्रभारी के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज कर उसे बर्खास्त करने की मांग को लेकर नारे लगाते रहे। बाद में पुलिस व स्थानीय राजनेताओं की समझाइश और आश्वासन से वे रास्ता खोलने पर राजी हो गए। गौरतलब है कि पुलिस ने छोटूराम जाट के मंगलवार को ईसरमंड के जंगलों में मुठभेड़ में मारे जाने की बात कही थी। उसका शव पोस्टमार्टम के लिए अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल में ले जाया गया। वहां उसके परिजनों ने यह कहते हुए पोस्टमार्टम करवाने और शव उठाने से मना कर दिया कि छोटूराम के सरेंडर करने के बावजूद पुलिस ने उसे गोली मार दी। बुधवार देर रात तक वे हॉस्पिटल के बाहर धरना देकर बैठे रहे। बाद में राजसमंद एसपी के मुकदमा दर्ज किए जाने की बात कहने पर वे पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए। गुरुवार को पोस्टमार्टम के बाद शव छोटूराम के पैतृक गांव भेज दिया गया।

गुरुवार, 20 मई 2010

BARMER NEWS TRACK

Googleबाड़मेर: जातीय पंचायत का मौत के बदले मौत का फरमान

बाड़मेर: भारत-पाकिस्‍तान अंतरराष्‍ट्रीय सीमा पर स्थित राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव तहसील के जालेला गांव में जातीय पंचायत ने एक परिवार का हुक्‍का-पानी बंद करने और मौत के बदले मौत का फरमान सुनाया है। पीडि़त पक्ष ने पुलिस अधीक्षक के सामने पेश हो न्याय की गुहार लगाई है। बाड़मेर जिले के शिव थाना क्षेत्र के जालेला गांव निवासी सवाई सिंह ने पुलिस अधीक्षक संतोष चालके को बताया कि लगभग तीन साल पुर्व उनके बच्चे और नखतसिंह के बच्‍चे आपस में खेल रहे थे। खेल-खेल में नखत सिंह के बच्चे शिशुपाल सिंह की मृत्यु हो गई थी। इस पर नखतसिंह का परिवार इस मामले को लेकर जातीय पंचायत में चला गया। बकौल सवाई सिंह, ‘जातीय पंचों ने मेरे परिवार का आजीवन हुक्का-पानी बन्द करने के साथ गांव से दरबदर का फरमान जारी किया था। साथ ही, मौत के बदले मौत का फरमान जारी किया था। जातीय पंचायत के बाद भय और आंतक की वजह से हमारे परिवार ने तीन साल पहले ही गांव छोड़ दिया था। समाज से भी मुझे बहिष्कृत किया गया था। परिवार में शादी की वजह से मैं अपने परिवार के साथ 14 मई को गांव आया। गांव में पहुंचते ही जातीय पंचों ने धमकियां देना शुरू कर दिया। इसी रात मैं अपने सगे-संबंधियों के साथ देर रात शादी की योजना पर बातचीत कर रहा था। इसी दौरान वहां कानसिंह, भूरसिंह, नरपतसिंह सहित 11 लोग आए और उन्होंने हमारे आशियानों में आग लगा दी। सभी आरोपी झोपडों को चारो और से घेर के खडे थे ताकि हमारा परिवार बाहर नहीं आ सके। कुछ लोगों ने हमारी मदद कर हमें आग से बाहर निकाला। आज जैसे-तैसे आरोपियो से नजरें बचा कर आपसे मिलने (एस.पी.) बाड़मेर आया हूं। मुझे न्याय दिलाएं तथा आरोपियों को गिरफ्तार करें। आरोपी बदले की भावना में मुझे और मेरे परिवार को मौत के घाट उतारना चाहते हैं।’ पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि फरियादी का मामला शिव थाने में दर्ज कर उसे पूरी सुरक्षा दे दी गई है। मामले के अनुसंधान का कार्य थानाधिकारी भंवरदान को दिया गया है और आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया गया है। आरोपियों को बख्‍शा नहीं जाएगा।


मुठभेड़ में मरे तस्कर का नहीं हो पाया पोस्टमार्टम

परिजनों ने थानेदार के विरूद्ध मामला दर्ज करने की मांग की)बाड़मेर । जिले के देवगढ़ थाना अंतर्गत लसानी के जंगल में बाड़मेर एवं देवगढ़ पुलिस की संयुक्त कार्यवाही में पुलिस गोली से मरे तस्कर छोटूराम जाट के शव का बुधवार को अजमेर में पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। वहीं परिजनों ने कल्याणपुर थानाधिकारी उदयसिंह के विरूद्ध मामला दर्ज करने की मांग की।इधर बुधवार सुबह पुलिस महानिदेशक टी.एल. मीणा देवगढ़ पहुंचे और घटना स्थल का निरीक्षण किया वही देवगढ़ थाने में एतियात के तौर पर बड़ी संख्या में एम.बी.सी. का जाप्ता तैनात था। मृतक तस्कर रावर बिलाड़ा जोधपुर निवासी छोटूराम पुत्र दयाराम जाट के 15-20 परिजन जिनमें अधिक युवा थे देवगढ़ थाने पहुंचे व पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर आक्रोश किया।जिला पुलिस अधीक्षक नितिनद्वीप व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वासुदेव भट्ट रात से ही एस.एफ.एल. टीम के साथ देवगढ़ में डेरा डाले है।कल्याणपुरा थानाधिकारी उदयसिंह भाटी ने देवगढ़ थाने में दोनों तस्करों के विरूद्ध जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज कराया है।मुठभेड़ में बाड़मेर पुलिस के वाहन पर दो गोली लगी थी वहीं कामलीघाट चौराहे पर तस्करों ने तीन हवाई फायर किए थे। मृतक छोटूलाल तथा देवपुरा राशमी चित्तौडग़ढ़ निवासी शंकर पुत्र छोगालाल अहीर डोडा पोस्त के अवैध करोबार में लिप्त है तथा कई थानों में इनके विरूद्ध हत्या का प्रयास सहित विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज है। पुलिस को आशंका है कि जिस वाहन स्कॉर्पियो में तस्कर सवार थे वो भी चोरी की हो सकती है। समाचार लिखे जाने तक अजमेर में मृतक तस्कर के शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था।
न्यू बॉम्बे से चोरी हुई गाडी में सवार थे तस्कर
बाडमेर । राजसमन्द जिले के देवगढ थाना क्षेत्र में मंगलवार को पुलिस व तस्करों के बीच हुई मुठभेड के दौरान तस्कर जिस गाडी में सवार थे, वह पांच दिन पहले न्यू बॉम्बे से चोरी हुई थी। वहां के एक थाने में वाहन चोरी का मामला भी दर्ज है।
पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि बिलाडा के रावर गांव का रहने वाला छोटू जाट व चितौडगढ निवासी उसका साथी शंकर स्कार्पियो गाडी में सवार थे। इस स्कार्पियो पर जो नम्बर प्लेट लगी थी, वह किसी जीप की थी। चैसिस नम्बर के आधार पर जांच कराने पर पता चला कि यह गाडी पांच दिन पहले न्यू बॉम्बे से चोरी हुई थी। इस गाडी के चोरी होने का मामला भी न्यू बॉम्बे थाने में दर्ज हुआ है। संभवत: इन तस्करों ने यह गाडी न्यू बॉम्बे से चुराई। पुलिस इसकी पडताल कर रही है।
गौरतलब है कि बाडमेर के बलदेवनगर निवासी किरतेश से चार दिन पहले पुलिस ने चोरी की एक गाडी बरामद की। किरतेश ने यह गाडी छोटू जाट से खरीदना बताया। चालके ने बताया कि चितौडगढ निवासी शंकर फिलहाल देवगढ पुलिस की कस्टडी में है। उधर बाडमेर पुलिस की टीम बलदेव नगर में हैड कांस्टेबल समेत दो जनों पर फायरिंग करने के आरोपी दिनेश उर्फ दीनिया निवासी भूरटिया की तलाश में जुटी है।
पाकिस्तान नए बंकर व टॉवर बना रहा है।
अन्तराष्ट्रीय सीमा के उस पार पाकिस्तान नए बंकर व टॉवर बना रहा है। इन निर्माण कार्यो को देख सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने चौकसी बढ़ा दी है। जानकारी के अनुसार राजस्थान व पंजाब से सटी सीमा के उस पार पाकिस्तान ने 19 नए बंकर स्थापित किए हैं तथा लगभग 40 नए वॉचिंग टॉवर बनाए हैं। कुछ साल पहले पाकिस्तान ने अपनी सीमा चौकियों की संख्या भी बढ़ाई थी। पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय नियमों को ताक पर रखकर चौकियों के निर्माण पर श्रीगंगानगर जिले से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव उत्पन्न हो गया था और दोनों देशों के बीच दो दिन तक फायरिंग भी हुई थी। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी बताते हैं कि भारत की सीमा पर पुराने बंकरों की मरम्मत का काम चल रहा है। यह कार्य शुरू होने के बाद पाकिस्तान ने तेजी लाते हुए नए टॉवरों और बंकरों का निर्माण शुरू कर दिया। नियमों के सवाल पर चुप्पीसीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों से जब यह पूछा गया कि नए बंकरों और वॉचिंग टॉवरों का निर्माण अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत हुआ है या नहीं, तो इस बारे में सीसुब के अधिकारी चुप्पी साध गए। नए बंकर सीमा के नजदीकपाकिस्तान के नए निर्माण कार्यो के बारे में केन्द्रीय गृह सचिव एवं सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुए विचार-विमर्श के बाद सीमा सुरक्षा बल के उच्चाधिकारियों ने पिछले दिनों सीमा क्षेत्र का दौरा किया और सीमा पार की गतिविधियों की जानकारी ली। नए बंकर सीमा के नजदीक हैं।तीन दर्जन निगरानी टॉवरसीमा सुरक्षा बल से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ ही समय में पाक ने तीन दर्जन से अधिक निगरानी टॉवर बनाए हैं। बल के अधिकारियों का कहना है कि नए टॉवर भारतीय टॉवरों के सामने ही बनाए जा रहे हैं।ये निर्माण19 नए बंकर40 नए वाचिंग टॉवर
सीमा पार से आने वाले तिलोर अब थार से मुहं मोडने लगे

बाडमेर । घास के मैदान व आश्रय स्थल नष्ट होने से सीमा पार से थार में पहुंचने वाला तिलोर (चिडिया) की संख्या अब कम होने लगी है। कोयम्बटूर स्थित सालिम अली इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री के भारतीय मरूस्थल पर शोध के मुताबिक थार में तिलोर की संख्या लगातार कम हो रही है। तिलोर घास के मैदानों में प्रजनन करते हैं।
सीमावर्ती बाडमेर व जैसलमेर तथा और जोधपुर के कुछ इलाकों में मवेशियों की संख्या बढने और चारागाह कम होने से सीमा पार से आने वाले तिलोर अब थार से मुहं मोडने लगे हैं।
जोधपुर में भी नहीं दिखतेभारतीय प्राणी सर्वेक्षण के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार कहते हैं कि पहले जोधपुर के आस-पास के इलाकों तिलोर अक्सर दिखाई दे जाते थे, लेकिन अब ऎसा नहीं है। कभी-कभार दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जरूर कुछ तिलोर जरूर देखे जाते हैं।
कुरजां की संख्या बढीअंतरराष्ट्रीय के्रन्स फाउंडेशन के शोध के मुताबिक साइबेरिया से दक्षिणी पूर्वी एशिया में आने वाली क्रेन्स अफगानिस्तान 'फ्लाई वे' के बाद गायब हो जाती थी। वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की तो पता लगा कि अफगानिस्तान के आकाश के ऊपर से गुजरते इन पक्षियों को मनोरंजन और शिकार के लिए मार गिराया जाता था, लेकिन इसमें अब कमी आई है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार छंगानी के अनुसार मारवाड के कुछ इलाकों में पानी व भोजन की उपलब्धता में कमी के कारण भी उन इलाकों में आने वाली कुरजां अब जोधपुर जिले के खींचन की और शिफ्ट हो गई। खींचन में कुरजां के लिए भोजन व पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। कुल मिलाकर पूरे राजस्थान में कुरजां की संख्या में बढोतरी हो रही है।

बुधवार, 19 मई 2010

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शटअप! यू शटअप!
बाडमेर। सांसद हरीश चौधरी और बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी मंगलवार को कांग्रेस कार्यालय में एक-दूसरे से उलझ गए। दोनों बीच तू-तडाक हुई और एक ने शटअप कहा तो दूसरे ने जवाब में यू शटअप। बाद में जिले के प्रभारी एवं बीकानेर के जिला प्रमुख रामेश्वर डूडी व अन्य विधायकों ने दोनों को शांत किया।
संगठन चुनाव को लेकर हुई बैठक में सोनाराम ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में पोकरण-फलसूण्ड-हीरे की ढाणी जलप्रदाय योजना के लिए मुख्यमंत्री को अवगत कराया था, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया और बजट में कोई घोषणा नहीं की। इस पर हरीश चौधरी ने कहा कि जिले में 198 करोड रूपए योजनाओं के लिए दिए गए हैं। यह तथ्य गलत निकले तो इस्तीफा देने को तैयार हूं। इस पर सोना राम दुबारा खडे हो गए और कहा कि वे सही कह रहे हैं, भेदभाव किया गया है।
इस पर सांसद ने कुछ बोलना चाहा तो विधायक ने कहा शट अप...। जवाब में सांसद ने कहा कि यू शट अप। इसके बाद दोनों में नोंक-झोंक शुरू हो गई। सोनाराम कहने लगे कि आप दिल्ली की पंचायती करो, राज्य की नहीं। मैं भी तीन बार सांसद रहा हूं सब जानता हूं। हरीश ने भी जवाब में कहा कि सही बात की पैरवी की जानी चाहिए। गलत जानकारी देने की जरूरत नहीं है। इसके बाद दोनों तू-तडाके पर उतर आए। विधायक मेवाराम जैन, मदन प्रजापत, पदमाराम मेघवाल, रामेश्वर डूडी सहित कांग्रेस के अन्य लोगों ने दोनों को शांत किया।
चापलूसी करते हैंकुछ लोग यूं ही चापलूसी कर रहे हैं। मैंने गलत नहीं कहा है। बजट भाषण की कॉपी देख लें। विधानसभा में भी मैंने यह बात कही थी। पेयजल योजना के लिए पैसा नहीं दिया है तो चुप क्यों रहूंगाक् -कर्नल सोनाराम चौधरी, विधायक, बायतु
योजना को लेकर बात हुईजलप्रदाय योजना को लेकर बात हुई है। उन्होंने कहा कि बजट नहीं दिया है तो मैंने जानकारी दी कि बजट दिया गया है।-हरीश चौधरी, सांसद




पुलिस मुठभेड में एक तस्कर ढेर
।बाडमेर देवगढ थाना क्षेत्र से मंगलवार शाम नाकाबंदी तोडकर भागे तस्करों व पुलिस के बीच लसानी के जंगलों में हुई मुठभेड के दौरान फायरिंग में एक तस्कर की मौत हो गई जबकि एक को देवगढ व बाडमेर पुलिस ने धर दबोचा।बाडमेर थाना पुलिस वहां बलदेवनगर में तीन दिन पूर्व हैड कांस्टेबल सहित दो जनों पर हुए गोलीकांड में आरोपियों की तलाश के लिए शाम को ही देवगढ पहुंची थी। आरोपियों के देवगढ की तरफ आने की सूचना मिलने पर देवगढ पुलिस के सहयोग से नाकाबंदी की गई। इस दौरान शाम को तेज गति से आती एक स्कॉर्पियो को पुलिस ने हाथ देकर रोका तो तस्करों ने गाडी में से ही फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने इधर-उधर होकर अपनी जान बचाई व बाद में तस्करों के पीछे लग गई। तस्कर कुछ आगे जाने के बाद लसानी के जंगलों में भाग निकले। पुलिस को पीछे आता देख उन्होंने फिर फायर कर दिए। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी फायर किए जिसमें बिलाडा (जोधपुर) निवासी छोटूराम पुत्र दयाराम को गोली लगी। पुलिस की एक टीम ने उसे संभाला जबकि दूसरी टीम ने घेराबंदी कर राशमी (चित्तौडगढ) निवासी शंकर पुत्र छोगालाल अहीर को गिरफ्तार कर लिया। घायल छोटूराम को लेकर पुलिस भीम चिकित्सालय पहुंची जहां से उसे ब्यावर व वहां से अजमेर रेफर कर दिया। अजमेर चिकित्सालय ले जाते रास्ते में उसने दम तोड दिया। आरोपी शंकर के पास से पिस्टल, कारतूस व खाली खोल बरामद किया। घटना की सूचना मिलने पर एसपी नितीनदीप ब्लग्गन व एफएसएल टीम मौके पर पहुंची। एसएसएल ने घटनास्थल व गाडी में आवश्यक साक्ष्य लिए।
शातिर हैं दोनों आरोपी
एसपी ब्लग्गन ने बताया कि मृतक छोटूराम के खिलाफ हत्या का प्रयास व डकैती का जोधपुर के लूणी, फिरौती का डांगियावास व मारपीट का महामंदिर में मुकदमा दर्ज है जबकि गिरफ्तार शंकर शातिर तस्कर है जिसके खिलाफ राजनगर थाने में डकैती की योजना व आम्र्स एक्ट का मुकदमा दर्ज है। मादक पदार्थ तस्करी के मामले में वह कपासन (चित्तौडगढ) में वांछित चल रहा है।
लूट व कातिलाना हमले के आरोपियों पर ईनाम घोषित
बाड़मेर & शहर में माल गोदाम रोड़ पर कृष्णकांत पालीवाल के साथ हुई लूट व बलदेव नगर निवासी आरोपियों के बारे में सही जानकारी देने पर संबंधित व्यक्तिा को दो हजार रुपए नकद ईनाम की घोषणा की है। जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि शहर में बीती 14 मई को माल गोदाम रोड़ पर कृष्णकांत पालीवाल सपत्नीक बाइक पर घर जा रहे थे। इसबीच दो अज्ञात बाइक सवार अपराधियों ने डेढ़ लाख रुपए से भरा बैग छीन भाग गए। इस संबंध में आरोपियों के बारे में सही जानकारी जिला पुलिस को देने पर संबंधित व्यक्ति को दो हजार रुपए का नकद ईनाम देने की घोषणा और इसी तरह 14 मई को बलदेव नगर में पुलिस हैड कानिस्टेबल सोनाराम व गंगाराम पर आरोपी दिनीया उर्फ दिनेश पुत्र डूंगराराम जाति जाट निवासी भुरटिया हाल बलदेव नगर व उसके सह अपराधी द्वारा देशी कट्टे से घायल कर भागने वालों की सूचना देने वाले को ईनाम दिया जाएगा।
बोलेरो-पिकअप भिड़ंत में दो मरे ग्यारह घायल
बाड़मेर. शिव थाना क्षेत्र के भियाड़ गांव में फलसंूड सड़क मार्ग पर एक बोलेरो व पिक अप गाड़ी की आमने -सामने हुई भिडं़त में दो जनों की मौत हो गई, वहीं ग्यारह जने घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर लाया गया। जहां पर गंभीर रुप से घायल चार जनों को जोधपुर रैफर कर दिया गया। पुलिस थाना शिव के एएसआई हरिसिंह ने बताया कि भियाड़ गांव के बस स्टैंड पर भियाड़ से गोडागड़ा की तरफ जा रही बोलेरो को फलसंूड रोड़ पर सामने से आ रही पिकअप के चालक कायम खां पुत्र हकीम खां निवासी उण्डू ने टक्कर मार दी। जिससे बोलेरो गाड़ी का संतुलन बिगडऩे से वह पलटी खा गई। इस हादसे में बोलेरो के चालक डूंगराराम (30) पुत्र कानाराम निवासी भियाड़ की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। वहीं कबूल खां (60)पुत्र उमर खां निवासी उण्डू ने कुछ ही देर बाद दम तोड़ दिया। बोलेरो में सवार गेरों देवी पत्नी रतनाराम जाट निवासी भियाड़, जेठी देवी पत्नी पोकरराम भियाड़, गीता देवी पुत्री गोरधनराम भियाड़, पारु पत्नी हड़मानराम जाट निवासी सवाऊ पदमसिंह, मूली पत्नी गंगाराम निवासी भियाड़, हेमी पत्नी मेगाराम भियाड़ एवं पिकअप में सवार ईसाक खां पुत्र आयश खां निवासी उण्डू, गुलाम पुत्र अली खां, सुमार खां पुत्र तालब खां, हुसैन पुत्र कबूल खां, दिलबर खां पुत्र अब्दुल खां निवासी उण्डू घायल हो गए। घायलों को उपचार के लिए बाड़मेर लाया गया। जहां पर चार गंभीर रुप से घायलों को जोधपुर रैफर कर दिया गया।

मंगलवार, 18 मई 2010

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Google पाकिस्‍तान में हिंदुओं पर जुल्‍म, हिंदूओं का पलायन जारी


बाड़मेर: 1947-48 में पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या कुल जनसंख्‍या का 16 से 20 फीसदी थी। पाकिस्तान की जनगणना के आंकड़ें बताते हैं। लेकिन, हिंदुओं पर इन 63 सालों में पाकिस्तान में इतने जुल्म ढाये गए कि उन्हें या तो वहां से भाग कर अपनी जान और अपने परिजनों की जान बचानी पड़ी, या फिर मौत को गले लगाना पड़ा। उन्‍हें एक और रास्ता चुनना पड़ता था, जो पाकिस्तान के कठमुल्ले जबरन थोपते थे… इस्लाम अपनाने का रास्‍ता। हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाया जाता… वहां इन सब जुल्मों के चलते हालात ये हो गये हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या घटकर 1.6 फीसदी से भी कम रह गयी है। वहां हिंदुओं को अपनी सम्पति छोड़ कर भागना पड़ा है, अपनी बहु-बेटियों की इज्जत खोनी पड़ी है। लेकिन, इस पर दुनिया में तो क्या भारत में भी कोई हल्ला नहीं बोलेगा।पिछले चार सालों में पाकिस्तान से करीब पांच हजार हिंदू तालिबान के डर से भारत आ गए, कभी वापस न जाने के लिए। अपना घर, अपना सबकुछ छोड़कर, यहां तक की अपना परिवार तक छोड़कर। हालांकि, इस तरह सब कुछ छोड़ कर आना आसान नहीं है। लेकिन, इन लोगों का कहना है कि उनके पास वहां से भागने के अलावा कोई चारा नहीं था। 2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरुआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलनी वाली यह ट्रेन कराची से चलती है और भारत में राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के मुनाबाओ बॉर्डर से दाखिल होकर जोधपुर तक जाती है। पहले साल में 392 हिंदू इस ट्रेन के जरिए भारत आए। 2007 में यह आंकड़ा बढ़कर 880 हो गया। पिछले साल कुल 1240 पाकिस्तानी हिंदू भारत आए, जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार लोग भारत आए और वापस नहीं लौटे। वे इस उम्मीद में यहां रह रहे हैं कि शायद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए, इसलिए वह लगातार अपने वीजा की अवधि बढ़ा रहे हैं। गौर करने लायक बात यह है कि ये आंकड़े आधिकारिक हैं, जबकि सूत्रों का कहना है कि ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक है, जो पाकिस्तान से यहां आए और स्थानीय लोगों में मिल कर अब स्थानीय निवासी बन कर रह रहे हैं। अधिकारियों का इन विस्थापितों के प्रति नरम व्यवहार है क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोग पाकिस्तान में भयावह स्थिति से गुजरे हैं। वह दिल दहला देने वाली कहानियां सुनाते हैं।रेलवे स्टेशन के इमिग्रेशन ऑफिसर हेतुदन चरण का कहना है, ‘भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या अचानक बढ़ गई है। हर हफ्ते 15-16 परिवार यहां आ रहे हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी यह स्वीकार नहीं करता कि वह यहां बसने के इरादे से आए हैं। लेकिन, आप उनका सामान देखकर आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वह शायद अब वापस नहीं लौटेंगे।’ राना राम पाकिस्तान के पंजाब में स्थित रहीमयार जिले में अपने परिवार के साथ रहते थे। अपनी कहानी सुनाते हुए वे कहते हैं कि वे तालिबान के कब्जे में थे। उनकी बीवी को तालिबान ने अगवा कर लिया। उसके साथ रेप किया और जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया। इतना ही नहीं, उसकी दोनों बेटियों को भी इस्लाम कबूल करवाया। यहां तक की जान जाने के डर से उन्‍होंने भी इस्लाम कबूल कर लिया। इसके बाद उसने वहां से भागना ही बेहतर समझा और वह अपनी दोनों बेटियों के साथ भारत भाग आया। उसकी पत्नी का अभी तक कोई अता-पता नहीं है। एक और विस्थापित डूंगाराम ने बताया कि पिछले दो सालों में हिंदुओं के साथ अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर परवेज़ मुशर्रफ के जाने के बाद।अब कट्टरपंथी काफी सक्रिय हो गए हैं। हम लोगों को तब स्थायी नौकरी नहीं दी जाती थी, जब तक हम इस्लाम कबूल नहीं कर लेते थे। बाड़मेर और जैसलमेर में शरणार्थियों के लिए काम करने वाले ‘सीमांत लोक संगठन’ के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा कहते हैं, ‘भारत में शरणार्थियों के लिए कोई पॉलिसी नहीं है। यही कारण है कि पाकिस्तान से भारी संख्या में लोग भारत आ रहे हैं।’ सोढ़ा ने कहा, ‘पाकिस्तान के साथ बातचीत में भारत सरकार शायद ही कभी पाकिस्तान में हिदुंओं के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार व अत्याचार का मुद्दा उठाती है।’ उन्होंने कहा, ‘2004-05 में 135 शरणार्थी परिवारों को भारत की नागरिकता दी गई, लेकिन बाकी लोग अभी भी अवैध तरीके से यहां रह रहे हैं। यहां पुलिस इन लोगों पर अत्याचार करती है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान के मीरपुर खास शहर में दिसंबर 2008 में करीब 200 हिदुओं को इस्लाम धर्म कबूल करवाया गया। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो हिंदू धर्म नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन वहां उनके लिए सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।’

रविवार, 16 मई 2010

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बचपन में ब्याही आधी सरकार
कम उम्र में विवाह नहीं होने देने के लिए कमर कसने वाली प्रदेश सरकार के एक-तिहाई से ज्यादा मंत्रियों और विधानसभा के करीब आधे सदस्यों की शादियां विवाह की वैधानिक उम्र से पहले हो गई थी। विधानसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध 13वीं विस सदस्यों की जानकारी की पडताल में सच सामने आया। विस के 200 सदस्यों में से 184 की वैवाहिक तिथियां उपलब्ध हैं।
82 सदस्यों की शादी 21 या 18 वर्ष (पुरूष अथवा महिला के अनुसार ) की वैधानिक आयु से पहले हो गई थी। 35 मंत्रियों और संसदीय सचिवों में से 13 के विवाह बाल-विवाह की श्रेणी में आते हैं। रविवार को अबूझ सावा पर एक बार फिर बाल-विवाह का जोर रहेगा। सत्ताधारी कांग्रेस के विधायक इस मामले में आगे हैं। कांग्रेस के 47 विधायकों के विवाह कम उम्र में हुए, जबकि भाजपा के 26 विधायक इस वर्ग में आते हैं। विवाह की न्यूनतम आयु का सबसे पहले 1929 में बने शारदा एक्ट में निर्धारण किया गया था। इसमें विवाह के लिए लडके की आयु 18 और लडकी की 14 वर्ष तय की गई थी। इसके बाद 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट में इस आयु सीमा बढाकर क्रमश: 21 और 18 वर्ष किया गया, जो अब तक जारी है। अधिकांश विधायकों के विवाह 1954 के एक्ट के लागू होने के बाद ही हुए हैं।
200 सदस्य विधानसभा में 184 की वैवाहिक तिथियां वेबसाइट पर82 की शादी 21 या18 वर्ष (पुरूष अथवा महिला के अनुसार) की वैधानिक आयु से पहले 35 मंत्री और संसदीय सचिव13 की शादी बाल-विवाह की श्रेणी में 47 विधायक कांग्रेस के बाल विवाह वाले26 विधायक भाजपा के इस वर्ग में
विधानसभा अध्यक्ष खुद भीइक्कीस वर्ष से कम उम्र में ब्याहने वालों में विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह शेखावत भी शमिल हैं। उनका विवाह 20 वर्ष 11 माह की उम्र में हुआ था।
प्रमुख भाजपा विधायकरोहिताश्व शर्मा, प्रभुलाल सैनी, सुन्दरलाल, शंकरसिंह रावत, ओटाराम देवासी, निर्मल कुमावत, फूलचन्द भिण्डा, राधेश्याम गंगानगर, संजना अगारी, केसाराम चौधरी, अशोक पींचा, सूर्यकान्ता व्यास, कमसा मेघवाल, अर्जुन गर्ग, राजकुमार रिणवा, हरिसिंह रावत।
नाम --विवाह के समय उम्रकेबिनेट मंत्री हरजीराम बुरडक -- 17 वर्ष मास्टर भंवरलाल मेघवाल -- 17 वर्षपरसादीलाल मीणा -- 14 वर्षमहिपाल मदेरणा -- 20 वर्षराज्य मंत्री रामलाल जाट -- 18 वर्षअशोक बैरवा -- 17 वर्षभरोसीलाल जाटव -- 12 वर्षगोलमा देवी -- 11 वर्षमांगीलाल गरासिया -- 14 वर्षसंसदीय सचिव रामकेश मीणा -- 18 वर्ष गिर्राजसिंह --17 वर्षनानालाल निनामा -- 20 वर्षब्रह्मदेव कुमावत -- 20 वर्ष(केबिनेट मंत्री बीना काक और महेन्द्रजीत मालवीया तथा राज्य मंत्री राजकुमार शर्मा की विवाह तिथि उपलब्ध नहीं है।)

शनिवार, 15 मई 2010

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Googleपूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत का निधन
जयपुर. सांस में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत (87) का शनिवार की सुबह 11.10 बजे निधन हो गया।गौरतलब है कि शेखावत की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एमएसएस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। शेखावत को गुरुवार देर रात सांस लेने में दिक्कत होने तथा कमजोरी महसूस होने पर एसएमएस अस्पताल में लाया गया था।देश के 11वें उपराष्ट्रपति रहे भैरोसिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से गांव खाचरियावास में हुआ था।भैरोंसिंह शेखावत : प्रोफाइलजन्म तिथि 23 अक्टूबर, 1923 (धनतेरस) (खाचरियावास में )पिता का नाम स्व. देवीसिंह शेखावत माता का नाम स्व. बन्ने कंवर मूल निवास गांव : खाचरियावास जिला सीकर (राज.)पत्नी का नाम सूरज कंवर संतान - एक बेटी नाम रतन कंवर व्यवसाय- खेतीइन पदों पर रहेविधायक 1952 दांतारामगढ़ से 1957 श्रीमाधोपुर से 1962 किशनपोल से1967 किशनपोल से 1977 छबड़ा से 1980 छबड़ा से 1985 आमेर से 1990 धौलपुर से 1993 बाली से 1998 बाली सेराज्य सभा सदस्य : 1974 से 1977मुख्यमंत्रीपहली बार : 22 जून, 1977 से 15 फरवरी, 1980 दूसरी बार : 4 मार्च, 1990 से 15 दिसबर, 1992तीसरी बार : 4 दिसंबर, 1993 से 31 दिसंबर, 1998विधानसभा में नेता प्रतिपक्षपहली बार : 15 जुलाई, 1980 से 10 मार्च,1985 दूसरी बार : 28 मार्च,1985 से 30 दिसंबर, 1989 तीसरी बार : 8 जनवरी, 1999 से 18 अगस्त, 2002उपराष्ट्रपति : (देश के 11 वे उपराष्ट्रपति)19 अगस्त, 2002 से 21 जुलाई, 2007

राजनीति मेंआरएसएस में स्वयंसेवक रहे। थानेदार की नौकरी छोड़ने के बाद 1948 में जनसंघ की सदस्यता ली। शेखावत ने 1952 में विधानसभा की चुनाव लड़ा।जनसंघ के प्रदेश अध्यक्ष रहे।जनसंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य रहे।

देखिये तस्वीरे सरहदें रोक नहीं सकीं लोक संगीत की सोंधी महक को फैलने से

सरहदें रोक नहीं सकीं लोक संगीत की सोंधी महक को फैलने से

 













बाड़मेर: पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी है। पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी, रोहड़ी, गढरा, थारपारकर, उमरकोट, खिंपरो, सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं। पाक में रह रहे मांगणियार मूलतः राजस्‍थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिलों के हैं, जो भारत-पाक युद्ध (1965 और 1971) में पलायन कर पाक चले गए।

लोक गीतों के माध्यम से थार संस्कृति और परम्परा की छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मानजनक स्थिति नहीं थी। पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यहां यजमानी कर अपना पालन-पोषण करते थे। सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं। सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए, तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।

बाड़मेर से गये एक परिवार में सन 1961 में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया। इस कोहिनूर ने, जिसे पाकिस्तान और विदेशों में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मांगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और ख्‍याति दिलाई। उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान, हयात खान, मोहम्मद रफीक, सच्चु खान, सगीर खान ढोली ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी है।

इसके अलावा, बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निवासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुनर्जीवित कर काफी नाम कमाया। पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं है। पाक की मशहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश-विदेश में ख्‍याति अर्जित कर रहे हैं। पाक में मारवाड़ी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं। इन लोक कलाकारों ने पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया है और मारवाडी लोक गीत-संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया है।

इसके अलावा पाक में कृष्‍ण भील, सुमार भील, मोहन भगत, जरीना, माई नूरी, माई डोली, माई सोहनी, सबीरा सुल्तान, दिलबर खान, फरमान अली, आमिर अली, असलम खान, लॉग खान, सुमार खान, मोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत-संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला, गीत संगीत, संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा है। सिन्ध और थार की लोक संस्कृति, परम्पराओं, गीत-संगीत, कला में महज देश का फर्क है।

मांगणियार लोक गायकों ने लोक संगीत के जरिए दोनों देशों की सीमाएं तोड़ दी हैं। पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों ने थार शैली के लोक गीत-संगीत को पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा, अपितु उसे दुनिया भर में नई उंचाइयां दीं। पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था, ऐसे में फिरोज मांगणियार ने हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया।

शुक्रवार, 14 मई 2010

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Googleच्रदन सिंह भाटीबाडमेर- भारत सरकार नें पश्चिमी सीमावर्ती पॉच जिलों में राष्ट्रिय सुरक्षा के मध्य नजर लम्बे समय से विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर लगे प्रतिब्रध को आंशिक रूप् से हटा दिया हैं।गृह मंत्रालय द्धारा राज्य सरकार को जारी निर्देशानुसार राजस्थान के पॉच सीमावर्ती जिलों मेंविदेशी सैलानियों के प्रवेश में छूट दी हैं।इन क्षैत्रों में बाडमेर जिले का अहम पर्यटन क्षैत्रा किराडू सहित जूना के एतिहासिक किला तथा जैसलमेर जिले के लक्षमणा तुर्क्र,गोडावन आश्रय स्थली सुदासरी,हडडा,देवा और मोहनगढ शामिल हैं।इन पर्यटन क्षैत्रों को विदेशी पर्यटकों के लिए खोलनें से पर्यटन को बढावा मिलेगा।गौरतलब हैं कि राजस्थान के सीमावर्ती बाडमेर जिलें कें नेशनल हाई वे 15 के पश्चिम में विदेशी सैलानियों के प्रवेश पर प्रतिब्रध लगा हुआ था जिसके कारण विदेशी सैलानी बाडमेर जिले के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण नही कर पा रहे थे।जिला प्रशासन लम्बे समय से भारत तथा राज्य सरकार से नेशनल हाई वे 15 के पश्चिम में स्थित किराडू तथा जूना के ऐतिहासिक स्थलों पर विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर आंशिक छूट देने की मांग की जा रही थी।मगर भारत सरकार की यह छूट पाकिस्तान नागरिकों पर लागू नहीं होगी।पाकिस्तानी नागरिकों के प्रवेश पर पूर्व की भांति प्रतिब्रध रहेगा।यह छूट पर्यटन के लिहाज से दी गई हें।पाकिस्तान से सटी बाडमेर ,जैसलमेर जिले के सरहदी एरिया में विदेशी सैलानियों के प्रवेश पर राष्ट्रिय सुरक्षा के मध्य नजर प्रतिब्रध भारत पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध के पश्चात भारत सरकार नें लगा रखा था।प्रतिब्रध हटनें से जहॉ बाडमेर में पर्यटन को बढावा मिलेगा वहीं सेलानी एतिहासिक स्थलों कामम भण्रम कर सकेंगे।

गुरुवार, 13 मई 2010

life style in desert

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बाडमेर। बाडमेर शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या पंद्रह पर शहीद चौराहे के पास बुधवार दोपहर एक ह्वदयविदारक हादसा हुआ। मां की आंखों के सामने ही उसके आठ वर्षीय मासूम लाडले को ट्रक ने कुचल डाला। जिससे उसकी तत्काल मृत्यु हो गई, लेकिन अभागी मां ने उसे जिंदा समझकर बीच सडक से उठाया और वह करीब दो-ढाई सौ मीटर की दूरी तक तेज गति से दौडती हुई अपने ही परिवार के सदस्य की दुकान पर पहुंची और कलेजा कंपा देने वाली चीत्कारों के बीच मासूम को तत्काल अस्पताल ले जाने को कहा। बेटे को लेकर दौडती हुई मां को जिसने भी देखा, उसकी आंखें फटी रह गईप्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शहीद चौराहे से करीब दो ढाई सौ मीटर दूर बी एन सी चौराहे की तरफ सडक किनारे एक टैक्सी रूकी, जिसमें से तीन-चार महिलाएं व एक बालक उतरे। इन्हें हाइवे क्रॉस कर बलदेवनगर स्थित अपने घर जाना था। आठ वर्षीय बालक सुमेर (8) पुत्र सुजानसिंह निवासी बलदेवनगर टैक्सी से उतरकर सीधा ही हाइवे के बीच डिवाइडर पर चला गया। महिलाएं सडक किनारे ही रही। इस दौरान शहीद चौराहे की तरफ से एक ट्रक आया, जिसकी टक्कर से डिवाइडर पर खडा सडक पर गिर गया।ट्रक चालक ने बे्रक लगाए, तब तक बालक ट्रक के बीच में आ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बालक ट्रक के नीचे सुरक्षित था, लेकिन ट्रक चालक को लगा कि बालक कुचला जा चुका है। भयभीत ट्रक चालक ने ट्रक को तेजी से गियर में डाला और रवाना कर दिया, जिससे बालक ट्रक के पिछले टायर के नीचे आ गया और ट्रक उसके ऊपर से गुजर गया। ट्रक चालक ट्रक लेकर फरार हो गया। बालक की अंतडियां बाहर आ गई और उसकी मृत्यु हो गई। मां की ममता को नहीं दिखी मौत ट्रक के गुजरने के तत्काल बाद जोर-जोर से चीखती हुई एक महिला मासूम के शव के पास पहुंची और उसे उठाकर सीने से लगाया। यह अभागी महिला सुमेर की मां थी। पलक झपकते ही यह मां अपने बेटे को लेकर शहीद चौराहे की ओर दौड पडी। करीब दो ढाई सौ मीटर तक तेज गति से दौडती हुई महिला चौराहे पर पहुंची। यहां उसके परिवार की एक दुकान है। दुकान पर खडे परिवार के सदस्य को मां ने अपना बेटा सुुपुर्द किया और उसे तत्काल अस्पताल ले जाने को कहा। अभागी मां बेटे को अभी भी जिंदा समझ रही थी। यहां पर महिला गिर पडी। बाद में उसे घर ले जाया गया और बालक के शव को मोर्चरी भिजवाया गया। हाइवे जाम कियाहादसे में बालक की दर्दनाक मौत के बाद आक्रोशित भीड ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या पंद्रह पर जाम लगा दिया। भीड ने हाइवे पर टायर जलाकर गुस्सा प्रकट किया। करीब एक घण्टे तक यातायात अवरूद्ध रहने के बाद पुलिस ने समझाइश कर जाम खुलवाया। शहीद चौराहे से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर बी एन सी चौराहे की तरफ दोपहर करीब सवा दो बजे यह हादसा हुआ। हादसा होते ही ट्रक चालक ट्रक लेकर फरार हो गया, लेकिन आस-पास के दुकानदार सडक पर आ गए। भीड ने हाइवे जाम कर दिया। हाइवे जाम के काफी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची।सदर थानाघिकारी रमेशकुमार शर्मा के नेतृत्व में पुलिस ने समझाइश कर यातायात सुचारू करने का प्रयास किया, लेकिन आक्रोशित लोगों का कहना था कि हाइवे पर आए दिन दुर्घटनाएं होती है और लम्बे समय से यह मांग कर रहे हैं कि शहर के भीतर हाइवे पर ब्रेकर बनाए जाए।उनकी इस मांग की निरंतर अनदेखी हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं से मौतें हो रही है। भीड के बढते हुए आक्रोश के बीच पुलिस उप अधीक्षक बाडमेर जसाराम बोस घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने ब्रेकर बनाने की मांग पूरी करवाने का भरोसा दिलाया। करीब एक घण्टे के जाम के बाद यातायात सामान्य हुआ।


चोरी कर भाग रहा था ट्रेन के नीचे आ गया
सिटी कोतवाली अन्तर्गत एक घर में चोरी करके भागे युवक की ट्रेन से टकराने से मौत होने का मामला दर्ज हुआ है। पुलिस ने बताया कि ग्राम पंचायत उण्डू स्थित धीरजी की ढाणी निवासी थानाराम पुत्र चेतनराम जाट (21) की बुधवार सुबह लगभग पांच बजे बीएसएफ के सामने स्थित रेलवे ट्रेक पर बाड़मेर से जोधपुर जा रही साधारण ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। बाद में पुलिस की जांच में सामने आया कि यह युवक बलदेव नगर स्थित अर्जुनराम के घर से चोरी करके इसी ट्रेन से भागने की फिराक में था लेकिन ट्रेन की चपेट में आने से इसकी मौत हो गई। पुलिस को मृतक के पास से डेढ़ किलो चांदी व सोने के टोपस बरामद हुए है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बाल विवाह रोकथाम की अलख जगाई
बाड़मेर शुभम संस्थान की ओर से बुधवार को महावीर नगर व लोहार बस्ती नेहरू नगर में बाल विवाह अभिशाप है नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन कर आमजन को बाल विवाह रोकने का संदेश दिया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नरेन्द्र तनसुखानी ने कहा कि राज्य सरकार ने बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2006 लागू किया किया हुआ है, जिसके तहत बाल विवाह करने वालों को दो साल की सजा व एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। नाटक के निर्देशक गोपीकिशन शर्मा थे। शुभम संस्थान के व्यवस्थापक मुकेश व्यास ने बताया कि इस नाटक में नरेश गोस्वामी, गौरव ईश्वरानी, करण सेन, विनोद चौहान, अरविंद जयपाल, हीरालाल बोस, हेमंत कुमार व लक्ष्मण बोस आदि ने भूमिका निभाई।
ऑरकुट पर जोधपुर की छात्रा की अश्लील क्लिपिंग
जोधपुर. सोशियल साइट ऑरकुट पर शहर की एक छात्रा की अश्लील क्लिपिंग चल रही है। छात्रा के भाई ने जब उसे देखा तो वह हैरत में पड़ गया। किसी ने छात्रा का फोटो लेकर उसे अश्लील क्लिपिंग पर पेस्ट कर दिया। अब सरदारपुरा पुलिस आईटी एक्ट में दर्ज इस मामले की छानबीन कर यह कारस्तानी करने वाले की तलाश कर रही है।
सरदारपुरा पुलिस ने बताया कि नेहरू पार्क क्षेत्र में रहने वाली एक छात्रा के भाई ने यह मुकदमा दर्ज करवाया। उसने बताया कि ऑरकुट पर उसकी बहन की अश्लील वीडियो क्लिपिंग चल रही है। किसी ने उसकी बहन का फोटो लेकर उसे अश्लील फोटो व वीडियो पर पेस्ट कर दिया। जोधपुर की इस छात्रा का ऑरकुट पर यह अकाउंट भी फर्जी नाम से खोला गया है। उधर, अश्लील क्लिपिंग का पता चलने के बाद छात्रा की मानसिक स्थिति बिगड़ गई है। उसके परिवार की प्रतिष्ठा को भी ठेस लगी है।छात्रा के भाई ने पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की गुहार की है। साथ ही वह साइट से अश्लील क्लिपिंग हटवाने का प्रयास कर रहा है। पुलिस अधीक्षक साइबर एक्सपर्ट से बात कर यह क्लिपिंग बंद कराने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 67 व आईपीसी की धारा 292 और 499 में मुकदमा दर्ज कर अज्ञात आरोपी की छानबीन शुरू की है। मामले की जांच वृत्ताधिकारी नरपतसिंह को सौंपी गई है।

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बाडमेर। रामसर क्षेत्र के गागरिया गांव की एक महिला के साथ नौ लोगों ने बलात्कार किया, पुलिस ने घर में घुसने और अपहरण का मामला दर्ज कर संगीन वारदात को दिया। दबा देने का प्रयास किया। लेकिन घटना के 18 दिन बाद विवाहिता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयानों में आपबीती सुनाई तो रोंगटे खडे हो गए।
विवाहिता ने अदालत में बयान में बताया कि वह गागरिया में अपनी सास व पुत्र-पुत्री के साथ रहती है। उसका वाहन चालक पति काम पर गया हुआ था तब 21 अप्रेल की रात बारह व एक बजे के बीच गागरिया के ही नबिया, मिस्त्री, अलीया, सलीया, धन्ना व रियाद उसके घर में घुसे और उसे घर से उठाकर एक किलोमीटर दूर एक टांके के पास ले गए।
वहां एक गाडी खडी थी जिसमें रमदा, हयात व हमला बैठे थे। इन्होंने उसे गाडी में डाला और खुद भी सवार हो गए। गाडी को मापुरी गांव की सरहद में ले गए। वहां नबिया, मिस्त्री, अलीया व सलीया ने उसके साथ बलात्कार किया। इसके बाद तडके करीब चार बजे उसे एक सुनसान ढाणी में ले जाया गया, वहां पर धन्ना ने उसके साथ बलात्कार किया।
दूसरे दिन वह ढाणी में ही रही। रात करीब ग्यारह बजे फिर रमदा, हयात व हमला ने उसके साथ बलात्कार किया। बाद में उसे रात को ही एक गाडी में बिठाकर गागरिया बस स्टैण्ड के पास कच्ची सडक पर छोड दिया गया। अगले दिन सुबह करीब आठ-नौ बजे गंभीर हालत में दो जनों ने उसे रामसर अस्पताल पहुंचाया। जहां 24 अप्रेल को रामसर थाना पुलिस व 28 अप्रेल को पुलिस उप अधीक्षक चौहटन ने उसके बयान लिए।
पुलिस ने बताया अपहरण
चौबीस अप्रेल के बयानों के आधार पर रामसर थाने में घर में अनघिकृत प्रवेश व अपहरण का मामला दर्ज कर चार जनों को आरोपी बनाया गया। पुलिस उप अधीक्षक के बयान लेने के बाद के चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन सामूहिक बलात्कार का तथ्य पुलिस की कार्यवाही में नहीं आने पर पीडिता पुलिस अधीक्षक से मिली और मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान करवाने की गुहार की। सोमवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में पुलिस की पोल खुल गई।
अपहरण की घटना बताई थी
पीडिता ने अपने बयानों में बलात्कार जैसी कोई बात नहीं बताई। पुलिस ने अपहरण प्रकरण के आधार पर कार्यवाही की।
-कजोडमल मीणा, पुलिस उप अधीक्षक चौहटन
Man mows down two teachers with tractor

JAISALMER: Two school teachers were brutally killed by a fellow villager who ran a tractor over them at a village in Jaisalmer district on Tuesday. The accused was arrested immediately after the incident.

According to the police, the incident took place near Pakher village in the district. The murdered — Deep Singh (55) and Kalyan Singh (40) — both belonging to Pakher village, were teachers at a school in a nearby village called Leela Parivar. The accused has been identified as Indra Singh.

“A property dispute has been going on between the families of Indra Singh and the deceased. Deep Singh and Kalyan Singh were close relatives. A case, registered in this regard in 2008 with Mohangarh police station, is still pending,” said SP, Jaisalmer, S Parimala.

According to the SP, a fight took place between the two sides recently. Many villagers had told the police about the fight which escalated the tension between the two families.

On Tuesday, Deep Singh and Kalyan Singh were returning home on foot from Leela Parivar village at around 2 pm after school hours. “Indra Singh knew the two persons routine and was waiting at an isolated area near Pakher village on their way,” the SP said. As soon as Indra Singh spotted the two approaching, he started his tractor and drove it towards them. Both Deep Singh and Kalyan Singh were caught unaware as the tractor ran over them.

“A villager, who witnessed the incident, rushed to Pakher village and informed the residents there. After that the police were informed,” SP Parimala said.

“We immediately sent a police team in search of Indra Singh and arrested him,” she said. The police handed over the bodies to family members after conducting the postmortem.

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मंगलवार, 11 मई 2010

आगजनी के शिकार दलित परिवारों की सहायता की पुलिस ने

आगजनी के शिकार दलित परिवारों की सहायताआगजनी के शिकार दलित परिवारों की सहायता की पुलिस ने


बाड़मेर: राजस्‍थान के बाड़मेर जिले की पुलिस ने विपरीत बेघर परिवारों की मदद के लिए आगे आकर पुलिस का मानवीय चेहरा उजागर करने की कोशिश की है। बाड़मेर पुलिस ने आम आदमी के मन में बनी पुलिस की बनी कठोर छवि के बावजूद आमजन को अहसास कराया कि पुलिस आम लोगों की मदद के लिए भी तत्पर है।

जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) संतोष चालके को जब यह पता चला कि बाड़मेर जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर दलित भील जाति के 10 परिवारों के घर आगजनी के शिकार हो गए हैं और भील परिवार बेघर हो गए हैं, तो उन्होंने तत्काल इन बेघर परिवारों की आर्थिक मदद तथा घरेलू सामग्री वितरण पुलिस विभाग की ओर से करने के निर्देश सदर थानाधिकारी रमेश कुमार शर्मा को दिए। एसपी के निर्देश पर रमेश कुमार ने आगजनी के शिकार परिवारों के लिए अनाज, बर्तन, बिस्तर और चुल्हे-चौके जैसी आवश्यक सामग्री की व्यवस्था कर मानवता का परिचय दिया।

जिले के पुलिस कप्तान संतोष चालके के नेतृत्व में पुलिस बल ने बोला ग्राम पंचायत के भीलों की सहायता की है। इस तरह की पहल पहली बार देखी गई है। बहरहाल, बाड़मेर पुलिस ने मानवता का परिचय देकर अनुकरणीय कार्य किया है। सदर थानाधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि गरीब परिवारों की सहायता का उद्देश्य उन परिवारों को पुलिस विभाग की ओर से आश्वस्त करना था कि पुलिस उनके दुख-दर्द में साथ है। दनकी हरसम्भव मदद को तैयार है।

की पुलिस ने

राजस्‍थान: बाड़मेर के प्रकाश आईएएस में दूसरे स्‍थान पर

राजस्‍थान: बाड़मेर के प्रकाश आईएएस में दूसरे स्‍थान पर


बाड़मेर: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा-2009 के नतीजे गुरुवार को घोषित कर दिए गए। इसमें राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव आराबा के 24 वर्षीय प्रकाश राजपुरोहित दूसरे स्थान पर रहे। देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) में प्रकाश देश में दूसरे व राजस्थान में प्रथम स्थान पर रहे।

आईआईटी, दिल्ली से 2006 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक. करने वाले प्रकाश का सिविल सेवा परीक्षा के लिए यह दूसरा प्रयास था। इससे पूर्व वे 2008 की परीक्षा में साक्षात्कार तक पहुंचे थे। वर्तमान में गाजियाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे प्रकाश के पिता देवीसिंह राजपुरोहित स्वयं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं और वर्तमान में गाजियाबाद की एक निजी कंपनी में बतौर मैनेजर कार्यरत हैं। प्रकाश की मां 12वीं पास गृहिणी हैं।

एक सामान्य परिवार के प्रकाश अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। प्रकाश ने अपने चयन के बाद बातचीत करते हुए कहा, ‘मैंने 2006 में बी.टेक के बाद एक निजी कंपनी में छह माह जॉब किया। उसके बाद विभिन्न जॉब को नजदीक से देखा, लेकिन आईएएस बनकर जनता की सेवा के साथ कई चुनौतियों का सामना करने की मेरी ललक थी।’ प्रकाश ने कहा कि इस बार परीक्षा देने के बाद वे अपने चयन को लेकर आश्वस्त तो थे, लेकिन टॉपर बनेंगे, यह पता नहीं था। प्रकाश ने बताया, ‘आईएएस परीक्षा में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग व गणित मेरे विषय थे और मेरी विषयों पर काफी अच्‍छी पकड़ थी।’

दिल्ली के दयानंद विहार स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से 12वीं पास प्रकाश शुरू से मेधावी छात्र रहे हैं। प्रकाश राजपुरोहित आईएएस के रूप में अपने मूल प्रदेश राजस्थान में सेवा के इच्छुक हैं। प्रकाश ने कहा, ‘मेरी शुरू से इच्छा रही है कि मैं अपने प्रदेश में ही सेवा करूं।’ अगर राजस्थान में इस बार आईएएस की वेकेंसी होगी, तो प्रकाश को निश्चित रुप से दूसरा स्‍थान हासिल करने के कारण ‘होम कैडर’ यानि राजस्‍थान कैडर मिलेगा।

प्रकाश ने कहा, ‘मैं चारों बार सिविल सेवा की परीक्षा देकर आईएएस बनने का भरपूर प्रयास करता, उसके बाद भी अगर आईएएस नहीं मिलता तो आईपीएस बनता।’ उन्‍होंने अपने परीक्षा परिणाम पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं मई महीने की शुरूआत से रोज यूपीएससी कार्यालय सवेरे फोन कर जानकारी लेता था कि आईएएस का रिजल्ट कब आ रहा है। जब गुरूवार सवेरे रोजाना की तरह फोन किया, तो जानकारी मिली कि आज दोपहर 3 बजे रिजल्ट आ रहा है, तो मैं २ बजे से इंटरनेट पर बैठ गया। जैसे ही मैंने अपना रोल नंबर टाइप किया, तो पूरे देश में दूसरी रैंक देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन, मैं यह भी सोचने लगा कि काश पहली रैंक होती! फिर भी मैं संतुष्ट हूं कि आईएएस बन गया।’

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित वर्ष 2009 के सिविल सेवा परीक्षा परिणाम में कुल 875 अभ्‍यर्थी उत्तीर्ण हुए, जिनमें से 680 पुरूष व 195 महिलाएं हैं। इस वर्ष की परीक्षा में टॉपर जम्मू-कश्मीर के कूपवाड़ा के डॉ. शाह फैजल रहे, वहीं तीसरे स्थान पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली की छात्रा इवा सहाय रहीं। कुल 25 टॉपर में से 15 पुरूष व 10 महिलाएं हैं। वर्ष 2009 में 875 पदों के लिए 409101 आवेदन आए, उसमें से 193091 प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित हुए और 12026 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में बैठे। इनमें से 2432 को को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और 875 अभ्‍यर्थी अंतिम रुप से सफल घोषित किए गए।

शनिवार, 8 मई 2010

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बाडमेर- पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी हैं।पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी,रोहड़ी,गढरा,थारपारकर,उमरकोट,खिंपरो,सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं।पाक में रह रहे मांगणियार मूलतःबाड मेर-जैसलमेर जिलों के हैं,जो भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में पलायन कर पाक चले गए।थार संस्कृति और परम्परा को लोक गीतों के माध्यम से अपनी छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मान जनक स्थिति नहीं थी।पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यॅहा यजमानी कर अपना पालन पोद्गाण करते थे।सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं।सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।बाड मेर से गये एक परिवार में सन1961में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया।इस कोहिनूर जिसे पाकिस्तान और विदेशो में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मोगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और खयाति दिलाई।उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान,हयात खान,मोहम्मद रफीक,सच्चु खान,सगीर खान ढोली, ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी हैं।

इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निचासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मद्गाहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश -विदेशो में खयाति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाडी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाडी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृद्गण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लॉग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।

मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशो की सीमाऐं तोड़ दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उचाईयॉ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिकार पर पहुचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मद्गाहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में शामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मशुर लोक गायिका रेशमा जिन्होंने देश विदेशो में अपनी अलग गायकी से अपना अलग मुकाम बनाया।रेशमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेशमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेशमा नें विश्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देशो की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देशो की अवाम अपने रिश्ते कायम रखे हुए हैं।


स्वरूप खान इंडियन आइडल में मचाएगा धूम
अपनी शानदार गायकी से निर्णायकों को किया मंत्रमुग्ध, अंतिम 16 में हुआ चयन
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बईया के रहने वाले स्वरूप खान की संगीत के प्रति दीवानगी देखने लायक है। बचपन से ही अपने परिजनों के साथ लोक संगीत में अपने आप को पारंगत करने में जुटा स्वरूप खान आज इंडियन आइडल के अंतिम 16 प्रतिभागियों में सलेक्ट हो गया है। स्वरूप खान के चयन पर जैसलमेरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई।

स्थानीय लोक कलाकार पूर्व में भी देश-विदेश में अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। बॉलीवुड व हॉलीवुड में परफॉर्मेंस देने के बाद अब इंडियन आइडल भी लोक कलाकारों की गायकी से अछूता नहीं रहा और स्वरूप खान को अंतिम 16 में जगह मिल गई। अहमदाबाद में ऑडिशन देने के बाद स्वरूप का चयन मुम्बई के लिए हुआ। वहां सात दिन के रिहर्सल के बाद 150 में उसने जगह बनाई। उसके बाद 70 प्रतिभागियों में से सलेक्ट कर उसे अंतिम 40 में लिया गया। स्वरूप ने 40 प्रतिभागियों के ऑडिशन में भी अपनी छाप छोड़ी और 25 प्रतिभागियों में सलेक्ट हुआ। आखिर में उसने अंतिम ऑडिशन में निर्णायकों का दिल जीत कर अंतिम 16 में जगह बनाई।

बईया निवासी नियाज खां के 19 वर्षीय पुत्र स्वरूप खान को शुरू से ही गायकी का शौक था। उसने अपने चाचा अनवर खां से यह हुनर सीखा। अनवर खां के साथ स्वरूप खान ने विदेशों में कई प्रोग्राम किए और ख्याति अर्जित की। जैसलमेर के लोक कलाकारों में स्वरूप खान सूफी गायन के जादूगर माने जाते हैं। उनकी गायकी ने निर्णायक अनु मलिक, सुनिधि चौहान व सलीम मर्चेंट को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वरूप खान इससे पूर्व अंग्रेजी फिल्म मिल्क एंड ओपियम में मुख्य किरदार निभा चुका है।

लोक संगीत का परचम

स्थानीय मांगणिहार कलाकारों ने लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवित रखा है। वे निरंतर लोक संगीत को विख्यात करने में लगे हुए हैं। और तो और अब यह संगीत इस जाति के लोगों की आजीविका का साधन बन चुका है। नन्हें कलाकारों से लेकर बुजुर्ग कलाकार आज भी शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भावविभोर कर रहे हैं।

स्वरूप की आवाज में दम है

गुणसार लोक कला संस्थान के अध्यक्ष बक्श खां ने बताया कि स्वरूप की आवाज में दम है और उसकी संगीत के प्रति दीवानगी उसको आगे तक ले जाएगी। वह लोक संगीत के साथ-साथ फिल्मी गीत भी सधे हुए सुरों में गा सकता है। बक्श खां ने बताया कि स्वरूप खां की हौसला अफजाई के लिए संस्थान उसे वोट करने की अपील करेगा।


तीन दिन से धधक रहा जंगल
आबूरोड

आबूरोड व माउंट आबू के बीच तलेटी बाग नाले की पहाडिय़ों में शनिवार को तीसरे दिन भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। यहां पिछले दो दिनों से जंगल में आग धधक रही है जिससे अमूल्य वन संपदा व वन्य प्राणियों को भारी नुकसान हो रहा है।

गर्मी के साथ बढ़ी घटनाएं : गर्मी के आगमन के साथ क्षेत्र में सूखे पत्तों व पेड़ों में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा होता जा रहा है। वन विभाग अपने सीमित संसाधनों से एकतरफ आग बुझाने का प्रयास करता है, तो दूसरी तरफ आग भड़क उठती है।

मानसून आने तक यही स्थिति रही तो अरावली क्षेत्र के सैकड़ों हेक्टयेर क्षेत्र की वन संपदा व हरियाली पूरी तरह नष्ट होकर प्रदेश के एकमात्र पर्यटन स्थल को बदरंग कर देगी। इसको लेकर पर्यावरणविदों से लेकर आबूरोड व माउंट आबू के आम लोग भी चिंतित हैं। आबूरोड व माउंट आबू के बीच तलेटी बाग नाले की पहाडिय़ों में तीन दिन पहले आग लगी है। उस पर काबू पाने के लिए वन विभाग के अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आग बुझाने के ये प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे साबित हो रहे हैं। वर्तमान में लगी आग से एक बड़ा क्षेत्र जलकर खाक हो गया

है। इसकी चपेट में आया क्षेत्र

काफी दूर से ही काले रंग का दिखाई दे रहा है।

क्यों लगती है आग

वन सेंचुरी होने की वजह से प्रशासन व वन विभाग क्षेत्र में निर्माण कार्य, पेयजल के स्रोतों, नाड़ी, एनीकट के निर्माणों को अपना विरोध दर्ज कर रूकवा देता है। लेकिन अपने उपलब्ध संसाधनों में क्षेत्र में आग बुझाने के प्रयासों व संसाधनों के प्रति शायद ही कभी उतनी गंभीरता से काम किया गया हो। मानसून के बाद पतझड़ से गिरी पत्तियां मिट्टी के लिए खाद का काम करती है। लेकिन, यहां अगले मानसून आने से पहले ही ये पत्तियां आग लगने का कारण बन जाती है, जिससे पेड़ व पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाती है। इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटक अपनी मौज मस्ती के कारण पैकिंग कर लाए सामान की थैलियां, बीयर की बोतलें, पानी व शीतलपेय की बोतलें वन क्षेत्र में यूं ही फेंक देते हैं। इसके आगे राह चलते वाहनों से सिगरेट व बीड़ी पीकर बाहर फेंक देते हैं, जो आग लगने का बड़ा कारण बनता है। वन विभाग ने जलती बीड़ी, सिगरेट या माचिस फेंकने के लिए चेतावनी अंकित कर रखी है, लेकिन दंडात्मक कार्रवाई नहीं होने से ऐसा अक्सर होता है कि इस क्षेत्र में लोग धड़ल्ले से बीड़ी-सिगरेट पीते हैं। वन क्षेत्र में निवास कर रहे लोग वन उपज लेने के लिए जंगलों में जाते हैं, जहां लापरवाही पूर्वक बीड़ी या सिगरेट डाल देने से इस तरह से दावानल भड़क उठता है।

आत्महत्या को मजबूर करने का मामला दर्ज


बाडमेर।पुलिस थाना गिडा में आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि सालूराम पुत्र खरथाराम ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी बहिन पन्नी देवी पत्नी चनणाराम निवासी बाटाडू की पुत्री कमला व पुत्र बजरंग के साथ सार्वजनिक हौदी में डूबने से 29 अपे्रल को मृत्यु हो गई थी। इसका आत्महत्या का मामला ससुराल पक्ष की ओर से दर्ज करवाया गया है। जबकि उसको आत्महत्या के लिए नणद पूरो पत्नी पन्नाराम व खंगाराराम पुत्र सोनाराम ने मजबूर किया। पुलिस ने इस आशय का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की।

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शुक्रवार, 7 मई 2010

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<सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी17 hours ago

चन्दन
बाडमेर- पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी हैं।पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी,रोहड़ी,गढरा,थारपारकर,उमरकोट,खिंपरो,सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं।पाक में रह रहे मांगणियार मूलतःबाड मेर-जैसलमेर जिलों के हैं,जो भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में पलायन कर पाक चले गए।थार संस्कृति और परम्परा को लोक गीतों के माध्यम से अपनी छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मान जनक स्थिति नहीं थी।पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यॅहा यजमानी कर अपना पालन पोद्गाण करते थे।सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं।सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।बाड मेर से गये एक परिवार में सन1961में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया।इस कोहिनूर जिसे पाकिस्तान और विदेशो में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मोगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और खयाति दिलाई।उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान,हयात खान,मोहम्मद रफीक,सच्चु खान,सगीर खान ढोली, ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी हैं।

इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निचासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मद्गाहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश -विदेशो में खयाति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाडी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाडी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृद्गण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लॉग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।

मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशो की सीमाऐं तोड़ दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उचाईयॉ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिकार पर पहुचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मद्गाहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में शामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मशुर लोक गायिका रेशमा जिन्होंने देश विदेशो में अपनी अलग गायकी से अपना अलग मुकाम बनाया।रेशमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेशमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेशमा नें विश्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देशो की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देशो की अवाम अपने रिश्ते कायम रखे हुए हैं।

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